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Chapter 184 - जय मसीह की*

*💓 हमारे प्रेमी परमेश्वर पिता और प्रेमी परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह जी और प्रेमी परमेश्वर पवित्र आत्मा प्रभु जी के अति पवित्र और सामर्थ्यी नाम में आप सभी को 💓*

🌻 *जय मसीह की* 🌻

*🗓 दिनांक :-> मंगलवार 30 नवंबर 2021 🗓*

*📓 मुख्य विषय :-> 1. परमेश्वर पिता के बारे में अध्ययन। इसे यूनानी में पैट्रोलॉजी भी कहते हैं।*

कृपया ध्यान दें अभी हम जो सीख रहे हैं उसे *सिस्टमैटिक थियोलॉजी {SYSTEMATIC THEOLOGY}* कहते हैं मतलब अपने परमेश्वर और अन्य विषयों *के बारे में एक क्रम से अध्ययन करना।*

*📋 आज का विषय :-> [23] परमेश्वर का न्याय [भाग 13] 🔥*

*📕 परमेश्वर के न्याय के बारे में परमेश्वर का वचन हमें मुख्य 28 बातें सिखाता है जिनमें कुल 40 से अधिक बातें हैं, 24 बात हम देख चुके थे आज उससे आगे 3 बात और देखेंगे…*

*[25] परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर के न्याय के बारे में दुष्टों को चेतावनी देना चाहिए।*

जैसे पौलुस ने किया…

📖 प्रेरितों के काम 24:24-25 📖

[24] *कितने दिनों के बाद फेलिक्स अपनी पत्नी द्रुसिल्ला को, जो यहूदिनी थी, साथ लेकर आया; और पौलुस को बुलवाकर उस विश्वास के विषय में जो मसीह यीशु पर है, उस से सुना।*

📋 द्रुसिल्ला यहूदी थी और फ़ेलिक्स की तीसरी पत्नी थी। हालाँकि देश में फ़ेलिक्स सब से ज़्यादा ताकतवर था और पौलुस के मामले को सुलझाना चाहता था, पौलुस उसे यीशु के बारे में बताने से हिचकिचाया नहीं। देखें प्रेरितों 20:24; मत्ती 10:18.

[25] *और जब वह धर्म और संयम और आने वाले न्याय की चर्चा करता था, तो फेलिक्स ने भयमान होकर उत्तर दिया, कि अभी तो जा: अवसर पाकर मैं तुझे फिर बुलाऊंगा।*

📋 फ़ेलिक्स को संयम नहीं था। पौलुस सीधे उसके मन की बुराई और ज़रूरत तक पहुँचा। हर युग में उसके समान लोग होते हैं - वह अपने फ़ैसले को टालना चाहता था।

*अभी तो जा: अवसर पाकर मैं तुझे फिर बुलाऊंगा। :->* ऐसे लोग जो परमेश्‍वर के खिलाफ़ बलवा करने वाले होते हैं, क्या उनके लिए कोई उचित समय आता है?

📖 2 कुरिन्थियों 5:11 📖

[11]सो *प्रभु का भय मानकर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है; और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।*

📋 प्रभु के भय"- इसका अर्थ आदरयुक्‍त भय से है। रोमि. 3:18; उत्पत्ति 20:11; भजन 34:11-14; 111:10; नीति. 1:7.

😨 आने वाले इन्साफ़ के ख्यालों से यह बात उसके दिमाग में आयी थी।

😇 उसकी सामर्थी सेवकाई के पीछे यह प्रेरणादायक बात थी।

अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो क्या हम कह सकते हैं कि हम परमेश्वर के सच्चे सेवक हैं❓

*[26]दुष्ट लोगों के लिए परमेश्वर का न्याय डर की बात है।*

📖 प्रेरितों के काम 24:25 📖

[25]और *जब वह धर्म और संयम और आने वाले न्याय की चर्चा करता था, तो फेलिक्स ने भयमान होकर उत्तर दिया,* कि अभी तो जा: अवसर पाकर मैं तुझे फिर बुलाऊंगा।

📖 इब्रानियों 10:27 📖

[27] *हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।*

📋 प्रत्येक व्यक्‍ति जो प्रभु यीशु मसीह और उनके बलिदान के विषय में प्रगट सच्चाई को जानबूझकर अनदेखा करता है, जान जाएगा कि वह परमेश्‍वर का दुश्मन है [देखें यूहन्ना 7:7; 15:18; रोमि. 5:10; याकूब 4:4]

😨 और परमेश्वर का न्याय उसके लिए डर की बात होगी।

*[27] परमेश्वर द्वारा किए गए सामर्थ के कामों का इनकार करने और मन नहीं फिराने से परमेश्वर के न्याय के दिन उनकी ओर से निंदा अधिक बढ़ती है।*

📖 मत्ती 11:20-23 📖

[20]तब *वह उन नगरों को उलाहना देने लगा, जिन में उस ने बहुतेरे सामर्थ के काम किए थे; 👉🏻 क्योंकि उन्होंने अपना मन नहीं फिराया था।*

[21] *हाय, खुराजीन; हाय, बैतसैदा; जो सामर्थ के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब के मन फिरा लेते।*

[22] *परन्तु मैं तुम से कहता हूं; कि न्याय के दिन तुम्हारी दशा से सूर और सैदा की दशा अधिक सहने योग्य होगी।*

[23] *और हे कफरनहूम, क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किया जाएगा? तू तो अधोलोक तक नीचे जाएगा; जो सामर्थ के काम तुझ में किए गए है, यदि सदोम में किए जाते, तो वह आज तक बना रहता।*

📋 प्रभु यीशु की शिक्षा में खास ज़ोर मन बदलाव पर था, यीशु जो परिवर्तन देखना चाहते थे वह यहाँ है - देखें मत्ती 4:17. 3:2, लूका 13:1-5.

❌ क्योंकि इसके बिना उनके अद्भुत कामों और शिक्षाओं का कोई असर न था।

✅ स्वस्थ हो जाना अच्छी बात है लेकिन प्रभु यीशु के चरणों पर मन बदलाव ज़्यादा काम का है।

✅ परमेश्‍वर की महानता का प्रदर्शन अच्छा है लेकिन बुराई छोड़ कर उद्धार पाना ज़्यादा महत्वपूर्ण है।

❌ लेकिन जो परमेश्वर की सामर्थ की सच्चाई को स्वीकार नहीं करते और अपना मन नहीं फिराते हैं उसके लिए यह बहुत निंदा की बात है।

🌻 आगे कल 🌻

*🤗… प्रेमी परमेश्वर इस 💘 प्रेम संदेश 💘 के द्वारा हम सभी को बहुत-बहुत और बहुत आशीष दे ! आमीन।…🤗*

*✍ Sermon By Evangelist Ravi Dinkar*

*Yeshron Ministry India*