*💓 हमारे प्रेमी परमेश्वर पिता और प्रेमी परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह जी और प्रेमी परमेश्वर पवित्र आत्मा प्रभु जी के अति पवित्र और सामर्थ्यी नाम में आप सभी को 💓*
🌻 *जय मसीह की* 🌻
*🗓 दिनांक :-> बुधवार 24 नवंबर 2021 🗓*
*📓 मुख्य विषय :-> 1. परमेश्वर पिता के बारे में अध्ययन। इसे यूनानी में पैट्रोलॉजी भी कहते हैं।*
कृपया ध्यान दें अभी हम जो सीख रहे हैं उसे *सिस्टमैटिक थियोलॉजी {SYSTEMATIC THEOLOGY}* कहते हैं मतलब अपने परमेश्वर और अन्य विषयों *के बारे में एक क्रम से अध्ययन करना।*
*📋 आज का विषय :-> [23] परमेश्वर का न्याय [भाग 7] 🔥*
*📕 परमेश्वर के न्याय के बारे में परमेश्वर का वचन हमें मुख्य 28 बातें सिखाता है जिनमें कुल 40 से अधिक बातें हैं, 15 बात हम देख चुके थे आज उससे आगे 2 बात और देखेंगे…*
*[16] परमेश्वर के न्याय के दिन कोई भी अपने पापी स्वभाव के साथ खड़े नहीं हो सकता।* 😨
📖 भजन संहिता 130:3 📖
[3] *हे याह, यदि आप अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?*
*🔥 यहां कुछ खास बातों पर ध्यान दें 🔥*
😨 सिर्फ एक पाप के लिए आदम और हव्वा ने स्वर्ग और परमेश्वर की उपस्थिति को खो दिया और उनके सभी वंश पापी बन गए।
😨 सिर्फ एक पाप के कारण आकान ने अपना प्राण खोया, और
😨 सिर्फ एक पाप के कारण शाऊल ने अपना राज्य खो दिया।
😰 अब सोचिए यदि परमेश्वर ने हमारे असंख्य/अनगिनत पापों को ध्यान में रखा और उन्हें हमारे खिलाफ रखा, तो खड़े होने से तो बहुत दूर, हम अनन्त अंधकार और विनाश में होंगे। 🔥
📖 भजन संहिता 143:2 📖
[2]और *अपने दास से मुकद्दमा न चला! क्योंकि कोई प्राणी आपकी दृष्टि में निर्दोष नहीं ठहर सकता॥*
📋 दाऊद परमेश्वर के दया सिंहासन के सामने आना चाहता है जो परमेश्वर का अनुग्रह का सिंहासन है परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने नहीं ❌
✅ क्योंकि वह अच्छी तरह जानता है कि वह अपने आप में इतना दोषी था कि वह अपनी योग्यता के आधार पर परमेश्वर के सामने खड़ा नहीं हो सकता था (देखें भजन 14:3; 51:5; 130:3; सभो 7:20; रोम 3:20, 23; गला 2:16)।
📖 रोमियो 3:19 📖
[19] *हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं: इसलिये कि हर एक मुंह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।*
📙 इसका अर्थ है बाईबल का प्रथम भाग मतलब वह व्यवस्था जिसे सीनै पर्वत पर परमेश्वर ने मूसा को दिया था। इसको मानने वाले यहूदी थे।
✅ उसने यह बात सामने रखी थी कि दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के सामने पापी है। (रोमियों 3:23)
👉🏻 उसे प्रभु यीशु मसीह और उनके संदेश की आवश्यकता है। सृष्टि (1:18-20),
👉🏻 क्योंकि मनुष्य का इतिहास (रोमियों 1:21-28),
👉🏻 मनुष्य की वर्तमान अवस्था (रोमियों 1:29-32),
👉🏻 मनुष्य का विवेक (2:15) और
👉🏻 व्यवस्था में प्रगट किए गए सत्य (रोमियों 3:10-18) _इस बात की घोषणा करते हैं कि इस पृथ्वी पर सभी अधर्मी है। सभी दोषी हैं, वे अपने पापों और अपराधों के लिए ज़िम्मेदार हैं। वे सभी स्वर्ग के मालिक परमेश्वर के द्वारा दण्ड के लायक हैं।_
*[17] परमेश्वर के लोगों को प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के न्याय के दिन में खड़े रहने के योग्य किया जाएगा।* 😃
📖 रोमियो 8:33-34 📖
[33] *परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।*
📋 परमेश्वर विश्वासियों को निर्दोष (धर्मी या सिद्ध) समझते हैं इसलिए वह उनके विरोध में कोई आरोप नहीं सुनना चाहेंगे।
✅ जो उन से जुड़ चुके हैं, उनके विरोध में वह किसी आरोप को ग्रहण नहीं करेंगे। रोमियों 4:6-8 भी देखे।
❌ परमेश्वर उनके पापों और अपराधों को उनके विरोध में नहीं गिनते।
❌ क्या इस से उन्हें पाप, अपराध और दुष्टता करने की छूट मिल जाती है? बिल्कुल नहीं देखें रोमियों 6:1, 15; 8:4, 12-14.
[34] *फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।*
📋 *कौन किसी सच्चे विश्वासी को दोषी ठहरा सकता है* कि परमेश्वर उसे स्वीकार न करे?
❌ कोई नहीं।
❌ शैतान या दूसरे लोग भी नहीं,
❌ न ही स्वयं विश्वासी।
✅ क्योंकि उनके पापों और अपराधों को सदाकाल के लिए समाप्त करने के लिए प्रभु यीशु मसीह एक बलिदान/कुर्बानी के रूप में मर चुके हैं (इब्रा. 10:10, 14)। यही नहीं, पूरे अधिकार के साथ प्रभु यीशु पिता के साथ हैं। दोष या आरोप लगाने के समय वह उन्हें बचाते हैं। उनका जीवन और मध्यस्थ होना विश्वासियों को अभी और सदा के लिए सुरक्षित रखते हैं (रोमियों 5:9-10; इब्रा. 7:25; 1 यूहन्ना 2:1)।
😇 यदि हम सच्चे विश्वासी हैं, यदि हम प्रभु यीशु मसीह में हैं…
❌ तो कोई दण्ड नहीं है (रोमियों 8:1),
❌ हमारे पाप हमारे विरुद्ध नहीं गिने जाते (भजन 32:1-2; रोम 4:8; 8:33; 2 कुरि 5 :19),
😃 हमें स्वतंत्र रूप से और पूरी तरह से क्षमा किया जाता है (मत्ती 6:12, 14, 15; 9:5-7; 12:31; 18:23-35; इफ 1:7; 1 यूहन्ना 1:9)
*😇 इस प्रकार सभी सच्चे विश्वासी परमेश्वर के न्याय के दिन हिम्मत और पूरे विश्वास के साथ उनके सामने खड़े रह सकते हैं* [जरूर देखें 1 यूहन्ना 2:28; 3:21; 4:17]
🌻 आगे कल 🌻
*🤗… प्रेमी परमेश्वर इस 💘 प्रेम संदेश 💘 के द्वारा हम सभी को बहुत-बहुत और बहुत आशीष दे ! आमीन।…🤗*
*✍ Sermon By Evg. Ravi Dinkar*
*Yeshron Ministry India*