Psalms 15:1-5
[1]हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा?
(A Psalm of David.) LORD, who shall abide in thy tabernacle? who shall dwell in thy holy hill?
[2]वह जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है, और हृदय से सच बोलता है;
He that walketh uprightly, and worketh righteousness, and speaketh the truth in his heart.
[3]जो अपनी जीभ से निन्दा नहीं करता, और न अपने मित्र की बुराई करता, और न अपने पड़ोसी की निन्दा सुनता है;
He that backbiteth not with his tongue, nor doeth evil to his neighbour, nor taketh up a reproach against his neighbour.
[4]वह जिसकी दृष्टि में निकम्मा मनुष्य तुच्छ है, और जो यहोवा के डरवैयों का आदर करता है, जो शपथ खाकर बदलता नहीं चाहे हानि उठानी पड़े;
In whose eyes a vile person is contemned; but he honoureth them that fear the LORD. He that sweareth to his own hurt, and changeth not.
[5]जो अपना रूपया ब्याज पर नहीं देता, और निर्दोष की हानि करने के लिये घूस नहीं लेता है। जो कोई ऐसी चाल चलता है वह कभी न डगमगाएगा॥
He that putteth not out his money to usury, nor taketh reward against the innocent. He that doeth these things shall never be moved.