एक नया रिश्ता चल पड़ा था। कोई आम रिश्ता नही एक ऐसा रिश्ता जिसमे न तो कोई फ़रेब हैं, न किसी का दिल टूटता है, ओर न ही कोई जुदाई होती है।
बस एक प्यारी सी देखभाल और बहुत सारा असरदार प्यार भरा हुआ है।
ये रिश्ता अब एक नई कहानी लिखने जा रहा था।
ये दोनो इतने मस्ती करते की सब इनसे परेशान थे और इनकी तारीफ़ भी होती रहती थी। ये अब मिसाल बन चुके थे ऐसे रिश्ते की जो कभी न टूटने वाला था। इसमे सिर्फ छोटे प्यारे झगड़े होते है जो बाद में एक प्रभावी देखभाल में बदल जाती है। अब तो ये तीनो एक साथ थे। आमीना, परवीना और साहिल ये तिगड़ी कुछ अलग थी।
लेकिन आप तो जानते ही हो हर कहानी में एक मोड़ होता है। यहां भी कुछ ऐसा ही था। आज परवीना की जॉब लग गयी थी। वो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन चुकी थी और वो भी अपने अब्बू की कंपनी मे।
आज इस बात से सभी खुश थे। और सबसे ज्यादा खुश थी आमीना क्योकी अब परवीना उसे परेशान नही करेगी। उन सब की खुशी और बढ़ गयी जब साहिल को उसके भाई ने एक पुराना फ़ोन दे दिया।
अब वो सब एक दूसरे से फ़ोन जरिये बात किया करते थे
एक दिन कुछ यूं हुआ कि परवीना को देखने उसी की कंपनी का एक लड़का आया जिसका नाम था 'अनस ज़ुबैर रहमानी'
उसके साथ उसके पापा आये थे जो आर्मी में कमांडर थे।
सभी को लड़का बहुत पसंद आया लेकिन परवीना को नही आया था वजह तो आप सभी को पता ही है।
उसने अपनी प्रॉब्लम साहिल को बताई साहिल ने कहा "लड़का बहुत ही अच्छा है और फिर तुझे पसंद भी करता है और तुझे खुश रखेगा"
परवीना बोली "तू जनता है इसे"
साहिल ने जवाब दिया "हां मेरे ग्रुप में इनवेस्टर है ये भी"
परवीना बोली "ठीक है में हाँ कर देती हुँ"
बस फिर क्या था चार दिन बाद ही सगाई की तैयारियां शुरू हो गयी।
सब दिन भर उसी तैयारी लगे रहते किसे कार्ड देना है कोन-कोन आएगा।
खाना आमीना बनाती थी। इसमे उसकी खालाजान भी मदद करती
एक दिन साहिल आया और उसने परवीना से बोला "परी आज मूँग का हलवा बना मुझे बहुत याद आ रही है"
वो बोली "तो घर पे ही बनवा लेता" उसने ये बात सिर्फ मजाक में कही लेकिन साहिल को इस से बहुत ठेस पहुँची वो सीधा अपने घर आ गया। थोड़ी देर बाद आमीना का फोन आ गया। वो बोलती है "आप चले क्यों गए यहां सब परी बाजी को डांट रहे है कि आप उनकी वजह से चले गए।"
उसने कुछ न कहा और फ़ोन कट कर दिया। उसका अब भी उसी बात सी दिमाग खराब हो रहा था। वो सोचने लगा
'काफी हक़ जताने लगा था में उस जगह पे अपना लेकिन पराया पराया ही होता हैं'
ये सब सोच सोच के वो काफी परेशान हो उठा था ।
फिर से आमीना का कॉल आया वो बोली "आपका हलवा बन गया और मैने बनाया है अब ये मत बोलना की नही खाना।
साहिल ने कहा "आता हुँ" ।
वो सीधा आमिना के घर गया तो उसने देखा कि वहाँ कोई नही है।
फिर वो परवीना के घर की तरफ देखने लगा तभी परवीना का बड़ा भाई अनस बाहर आया और साहिल को अपने घर ले गया। वो जैसे ही अंदर गया उसने देखा अंदर टेबल पे हलवा रखा हुआ है। आमिना ने साहिल को बैठने को कहा और एक कटोरी दे दी और बोली "चखकर बताओ टेस्ट कैसा है" साहिल ने हलवा खाया और कहा "ये तूने बनाया"
आमीना बोली "हाँ" साहिल बोलता है "ये तूने नही ये परी ने बनाया"
आमिना फिर से बोलती है "किसी ने भी बनाया हो आपको उससे क्या आप खाओ"
वो हलवा खाने लगता है कुछ समय बाद वो भी सगाई की तैयारियों में लग गया क्योकि अगले दिन दिन सगाई थी
साहिल के दिमाग मे तभी एक खयाल आया ।
वो बोला कि दूल्हा आज रात ही कोटा आ जायेगा लेकिन रुकेगा कहाँ। तभी परवीना की दोस्त जिसका नाम यशश्वीनी था वो बोली "मेरे घर पे रुकने का इंतजाम कर देते है" ओर इस तरह शाम भी हो गयी थोड़ी देर बाद ही दूल्हे वाले भी आ गए और जहां उनके लिए इंतजाम किया गया था वहां रुक गए ।
साहिल उसे पहले से जनता ही था तो बस बात करने निकल गया। उसे वहां देख कर दूल्हे के पापा ने कहा "क्या आप हमारे एक काम कर सकते हो "
साहिल बोला "अरे आप बस काम बताये आप जो काम बताओगे हो जाएगा"
वो एक बैग उसे थमाते हुए बोले "ये दुल्हन के लिए कपड़े है। इन्हें घर पर पहुचा देना ताकि वो इसे इसे देख ले"
साहिल उस बेग को लेता है और परवीना के घर दे आता है।
अगले दिन सारे मेहमान आये होते है और बस इंतजार था दूल्हे वालो का।
परवीना उस दिन कुछ इस तरह तैयार हुई थी
उसने लाल रंग की ड्रेस पहनी हुई थी जिसपे सुनहरे रंग की जरी डिज़ाइन थी। ओर सुनहरे रंग की ज्वैलरी उसने पहनी हुई थी। और लाल रंग में उसका गोरा रंग और भी निखर सा गया था।
वो तैयार होकर मेहमानों से बात कर रही थी लेकिन उसकी आंखें किसी को ढूंढ रही थी। अब आप समझ ही गए होंगे कि वो किसे ढूंढ रही थी वो साहिल को देख रही थी