Chereads / NITHYANANDA SATSANG / Chapter 6 - आज (17 जुलाई 2020) परमशिव गण का सत्र सुबह 5:30 बजे IST) का सन्देश

Chapter 6 - आज (17 जुलाई 2020) परमशिव गण का सत्र सुबह 5:30 बजे IST) का सन्देश

* जिन लोगों के साथ आप रह रहे हैं, उनके साथ बड़े प्यार, खुशी, देखभाल के साथ आनन्द में रहें। निरर्थक झगड़ें नहीं। महामारी थकान न होने दें। सभी रिश्तों में अधिक मित्रता जोड़ें। चाहे पति-पत्नी, पिता-माता, बहन, भाई, बेटी…।

* यदि आप अपने अंदर एक गण के आनंद में आनंदित हैं, तो आप सही चीजों को आकर्षित करेंगे। अन्यथा आप सभी नकारात्मक चीजों को ही आकर्षित करेंगे। आप अहम् के कारण चिडचिडापन न आने दें। लादेन या झगड़ें नहीं। बैठो और परिवार के साथपूर्णत्व करें। यदि अन्दर कुछ क्रोध या गुस्सा आ रहा है, तो कृपया बोल दें।

* पूरी दुनिया चली गई है। केवल हम कुछ ही बच जाने वाले हैं।

* जो भी जीवित है, हम सब सुख से रहें।

* आदि कैलाश, तिरुवन्नामलाई, मदुरई, हैदराबाद में सभी कैलाशवासी.., अपने समस्त आदीनमवासी साथियों के साथ और अपने जीवन में रिश्तों में मित्रता, आनंद, खुशी, पूर्णत्व लायें ।

* आपकी उत्पादकता दूसरी प्राथमिकता है। नित्यानंद परमशिवम आपके गुरु यह बता रहे हैं। यह एक मॉर्फ्ड वीडियो नहीं है। आपकी उत्पादकता दूसरी प्राथमिकता है। सर्वप्रथम गहन प्रेम, आनंद, मित्रता, असंबद्धता, परमशांतस्वरूप…

* असंबद्धता से इतना आनंद आएगा। आपको, सभी को गले लगाने का मन करेगा। आपको इतना प्यार और आनंद मिलेगा।

* इस प्रलय से पहले मैं आप सभी को तैयार कर रहा था इसलिए हमें जितनी शीघ्रता थी कि जितना शीघ्र हो सके उतनी अधिकतम चीजें बना ली जाएं और हमने इसे किया भी। उत्पादकता प्राथमिकता थी।

* अब वह समय है जब हम बैठें और आराम करें। मैं कप्तान हूँ! जहाज मेरे नियंत्रण में है। सुन्दर बात यह है, मैं मात्र जहाज का ही कप्तान नहीं हूं, मैं स्वयं समुद्र का भी कप्तान हूं! इसलिए आराम से बैठें।

* यह समय है कि आप सभी के बीच बहुत अधिक आनंद, हँसी, चरम मित्रता लाएं।

* अहिंसक लोग प्रलयकाल के बाद फलने-फूलने वाले हैं। आप बहुत सी अच्छाइयों को आकर्षित करने जा रहे हैं।

* सभी आदीनामावासियो, आप सभी के लिए गुरुवाक् है: पहली प्राथमिकता गहन आनंद, पूर्णता, मित्रता, प्रेम, देखभाल, अहिंसा, आध्यात्मिक तीव्रता जैसी सभी जीवन सकारात्मक चीजों को अपनाएँ।

* उत्पादक होने के लिए अधिक कुछ भी नहीं है। सब कुछ कोरोना लेकर चला गया है!

* गहन, सचेत, खुश, मानसिकता और खुशहाल जीवन का सृजन करें। यदि आप इसका सृजन करेंगे, तो आप हज़ार गुना अधिक उत्पादक होंगे। आप इतने परिपक्व उत्पादक व्यक्ति होंगे।

* मैं हर किसी के लिए कह रहा हूं: यदि आप बहुत खुशी और मित्रता लाते हैं, तो आपको 6 घंटे से अधिक नींद की आवश्यकता नहीं होगी। यह आपकी हताशा और तनाव है कि आप बस बिस्तर में व्याकुल होंगे। यदि आप खुश हैं तो आप लोगों को देखने का इंतजार करेंगे और आप अपनी टीम में खुश लोगों को आकर्षित करेंगे।

* मैं चाहता हूँ कि आदि कैलाश और तिरुवनमलाई, मदुरै, हैदराबाद कैलाशों में छोटी छोटी कार्यात्मक टीमें बनायें। कभी-कभी आप एक बड़े दुस्साहसी परिवार - टीम और परिवार बन जाते हैं। ऐसा मत करो। एक टीमिली में 10 से अधिक लोग नहीं। 10 में से, शायद 2 ब्राह्मण, 4 वैश्य, कुछ शूद्र सभी का मिश्रण हो।

* इसे एक टीम के लिए एक अवधारणा के रूप में लें। उदाहरण: एक यूट्यूब चैनल - एक टीम। डिजिटल राष्ट्र में एक परियोजना, एक टीम। इसमें 10 से ज्यादा लोग नहीं। यह एक कार्यात्मक टीमली होना चाहिए, जहां लोग एक-दूसरे को गले लगाते हैं, आनंद, प्यार, देखभाल, मित्रता साझा करते हैं।

* आप सभी अपना परिवार भी ऐसा ही बनाते हैं। सुबह जब आप एक दूसरे को देखते हो, तो चेहरे पर ऐसी व्यापक मुस्कान होनी चाहिए!

* असंबद्धता क्या है यह एक पंक्ति मैं समझाऊंगा: चेतन्य हो यह तय करें कि आप किसी भी चीज से स्वयं का जुड़ाव नहीं रखेंगे। निर्णय करें: मैं किसी चीज से बंधित नहीं हूंगा जिसे कहूँ कि मेरी है। इसलिए मैं 'मेरे' से असम्बद्ध हूँ - मेरा शरीर, मेरा मन ... मेरा कुछ भी ... मैं अपने से असम्बद्ध हूँ, बस इतना ही!

* कुछ भी आप सोचते हो कि यह अपना है, उस से असम्बद्ध होएं; बस।

* एक समृद्ध 'मैं' के रूप में बैठें जो 'मेरा' से मोहित न हो। एक "मैं" 'जो अविनाशी है जो मेरा आदि से द्रवित नहीं होता; मैं और मेरा से मोहित नहीं होता। "मैं जैसा हूं वैसा ही रहूंगा" यह सब असम्बद्धता है।

* मैंने इन कुछ ही शब्दों में पूरी असम्बद्धता का वर्णन किया है। यह वेदांत, सिद्धान्त, शुद्धाद्वैत विद्या, अद्वैत, सब कुछ का सार है। शारीरिक रूप से, मनोवैज्ञानिक रूप से, प्रत्येक चीज से – असम्बद्ध हों...वैसे भी आप से सब कुछ छीन लिया गया है...

* 'मैं', मेरा में क्षीण या खंडित नहीं होता है। यह असम्बद्धता है!

मुझे जो कुछ भी लगता है कि यह मेरा है, मुझे उससे असम्बद्ध होना है और एक श्रेष्ठ "मैं", बनकर बैठें |

* जब "मैं" स्वयं जैसे बैठता हूं, एक "मैं" परमशिव की तरह। जब आप बैठते हैं, आप परमशिव हैं।

* जब आप पूजा नहीं कर सकते हैं, तो असम्बद्धता करें या परमशिव गण परियोजना करें या लाभान्वित करें।

* या तो असम्बद्धता या लाभान्वित करना, यह बात है!