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Tere jaisa koi nhi hai maaa

Aditya_Kashyap_1410
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Synopsis

Chapter 1 - माँ

बिन उंगली के तेरे मै अब भी लड़खड़ा के चलता हूँ।

माँ सच कहू तो मै अब भी अंधेरे से डरता हूँ।।

लोगो के डर से मेरी ये आँखें रोयी नहीं हैं।

माँ तेरे जैसा कोई नही हैं।

तु नही हैं साथ तो ऐसा लगता हैं ,अन्दर से अधूरा हूँ।

सब छोड़कर चले जाते है , क्या माँ मै इतना बुरा हूँ।।

की इस दिल की माला में नफरत maine पिरोइ नहीं हैं।

माँ तेरे जैसा कोई नही हैं।।

अब बुखार लगता तो मेरे लिए रातों को कोई नहीं जागता हैं माँ।

कई दिनों तक भूखा रह जाता हूँ, पर यू पलेटे लेके मेरे लिये कोई नही भागता हैं माँ।।

की बिन लोरी के तेरे ये आँखे सोइ नहीं हैं माँ।

तेरे जैसा कोई नही हैं माँ।

तेरे जैसा कोई नही हैं माँ।