साल तो बदला लेकिन हाल नही बदला ,
समय के चक्र का ख्याल नही बदला ।
संसार में कोरोना का मचा बवाल नही बदला ,
दिनभर पास से गुजरने वाली एम्बुलेंसो की आवाजो का शोर महीनो से कानों मे नही बदला ।
न वक्त बदला ,न हालात बदले , बदला तो सिर्फ श्मशान घाट बदला ,
जिन्दा से मुर्दो मे यह हिन्दुस्तान बदला ।
चार कन्धे न नसीब हो रहे किसी को ऐसा समय का अभाव बदला ।
हाथ जोड़कर ईश्वर से अब यही आश हैं ,
न परिवार छूटे , न अब कोई दहलीज न किसी के अपनो का साथ छूटे ,
न किसी कि उम्मीद अब और न किसी का ईश्वर से विश्वास टूटे ।
Auhtor /_ Prashant