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Chapter 2 - मेरा बचपन

उम्र में बचपना ,दिल से चंचल था

मन में कई नन्ही शरारतो का हलचल था

आज खुद को देखु तो लगता है थोड़ा पागल था,

आंखों में पानी लिए छोटी- छोटी बातों पे बरसता बादल था,खिलोने कम थे मगर खुश था , कुत्ते तक से डर जाता मगर दिल से बेख़ौफ़ था , सोचता हूं अब कौन हूँ और पहले कौन था , पहले कुछ समेटा ना था पर कुछ बिखरा भी तो ना था , जैसा भी रहा मेरा बचपन आज से अच्छा तो था क्योंकि आज तो पता नई कौन हूं कम से कम पहले बच्चा तो था।