Chereads / My Poem's & Shayris (Hindi) Vol 1 / Chapter 115 - Poem No 76 काला और कलाकारों से

Chapter 115 - Poem No 76 काला और कलाकारों से

काला और कलाकारों से

हमारा नाता आज का नहीं

यह नाता बरसों पुराने है

यह दौर तो बस चलता रहे

सुरुवात लड़कपन में हुआ

ख़त्म आखिरी सांस में होगा

बहुरुपया हूँ वेश बदलना है

खेल में हो या जीवन में

चाहे गम हो या ख़ुशी

सदा मुस्कुराना है

लोगों का हर वक़्त दिल

सदा बेहलाना है

----Raj