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Falak Talak - Story of The stories

Afzal_Razvi
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Synopsis
Stop…Stop right there!” The child yelled. The inspector was stunned. Everyone in the police station could now hear the child. Mhatre stuck his ear close to the door to find out what exactly were they talking. “Okay…I wont move…See do one thing, keep the gun on that table… I promise I’ll let you go.” “Why were you trying to remove my clothes?!” Sabun questioned, in anger. He wanted to know what was going on in the inspector’s mind. “No, No reason at all. I was joking. Really. You took that joke seriously.” “Tell me! Tell me!” The child yelled. The police officer was now shivering in fear. Mhatre tried to listen to figure out what was happening inside. “You..You are very beautiful. I wanted to see if you’d be the same without any clothes on.” The child’s eye were moist. As soon as the inspector said that, the child pulled the trigger. A bullet was fired. Everyone outside now began to panic. The bullet just brushed past the inspector and pierced the wall of the room. Neeraj was now shit scared. He had a narrow escape, but he didn’t know for how long. “You two feet motherfucker!” “Me? Me? You’ll are motherfuckers!” The child had made up his mind. There was a shine in his eyes. Neeraj tried to read his eyes but he was confused. “What are you going to do? No! No! Mhatre save meee!” Neeraj cried for help. But it was too late. The kid had fired the bullet and.....

Table of contents

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Chapter 1 - जंगल

जंगल की वीरानी और सन्नाटा । समय दोपहर के 3 के आस पास । चारो तरफ घने पेड़ । और इन पेड़ों की भीड़ में दौड़ते हुए करीब 12 लोग । इनके दौड़ने से बस पत्तो की आवाज़ें जंगल मे हल्की शोर कर रही थी । बड़े अजीब तरह के लोग थे ये । शरीर से चिपका हुआ काला लिबास । जिससे शरीर का पूरा आकार झलक रहा था । ये बस लंबी लंबी सांसो से हांफते हुए जंगल मे एक ही दिशा की तरफ दौड़े जा रहे थे । चेहरे पर कोई भाव नही था । शून्य , और एक दम शून्य । भागते हुए अचानक ये सब रुके और अपनी दायीं तरफ देखने लगे थे । कुछ सोचने लगे और फिर दायीं तरफ दौड़ पड़े ये सब काले लिबास वाले । दौड़ते दौड़ते अचानक एक पेड़ के पास आकर ये फिर रुके ।

इन्होंने ज़मीन पर कुछ देखा था । प्लास्टिक की एक थैली थी ,और उस थैली से थोड़ा बाहर निकला हुआ था एक कटा हुआ हाँथ । इन बारह लोगो की टीम में जो सबसे आगे था, वो एक हट्टा कट्टा खूबसूरत नौजवान था । उसके शरीर पे चिपके काले लिबास की छाती पर सफेद रंग में लिखा था , आकाश । यानी कि ये आकाश था । आकाश ने उस थैली वाले हाँथ को उठाया और गौर से देखने लगा । कटे हाँथ का खून जम गया था । सब उस हाथ को देखकर अचानक रोने लगे थे । अजीब सा शोक अजीब सा मातम था इनका । आकाश की आंखों में आंसू थे । और फिर उस हाँथ को आकाश ने चूम लिया , माथे से लगाया और फिर उसे ज़मीन पर रख दिया ।

और फिर एक बार ये पूरा काले लिबास का दल एक दूसरी दिशा की तरफ दौड़ने लगा । इन सबने उसे देख लिया था, जो कुछ कटे अंगो को जंगल के अलग अलग जगहों पर फेंक रहा था । वो बाइक पर था । सर पर हेलमेट थी और बाइक के हैंडल पर एक बैग । इसी बैग में किसी के शरीर के कटे हुए अंग थे । बाइक वाला एक जगह फिर रुक गया । बाइक से उतरकर इसने इस बार एक कटा हुआपैर निकाला , अपना हेलमेट उतारकर उस पैर को देखकर मुस्कुराया था वो । 30 साल का गोरा और बाहुबली टाइप दिखने वाला ये शख्स काफी भद्दा भी दिख रहा था । ये कटे हुए पैर को गुस्से में देख रहा था और इसे घूरते हुए खड़े थे ठीक इसके पीछे इस से बीस कदम दूर वो बारह काले लिबास वाले । जो इसे एक टक देखे जा रहे थे । शरीर के टुकड़ों का ये आखरी अंग था शायद । फेकने वाले ने इस आखरी अंग को भी एक तरफ झाड़ियो में फेंक दिया और पलटकर अपनी बाइक की तरफ बढ़ने लगा । इस बाइक वाले को अब भी वो बारह ब्लैक लीबासी नज़र नही आ रहे थे जबकि वो इसे हैरानी और गुस्से से देख रहे थे । ऐसा क्यों , कि ये उन्हें देख नही पा रहा था । ये बाइक वाला शख्स अब इन बारह काले लिबास वालो के बिल्कुल सामने था, बड़े ही इत्मिनान से गुज़र रहा था अपनी बाइक की तरफ,यहां तक कि वो बाइक वाला शख्स आकाश को चीरते हुए पार हो गया । आकाश के पीछे खड़े बाकियो को भी वो आसानी से पार कर गया। अपनी बाइक पर बैठ कर उसने बाइक स्टार्ट की और उल्टी दिशा में वो जंगल के बाहर की ओर रवाना हो गया ।

ये बारह के बारह उसे बस जाता देखते रह गए । कौन थे ये बारह काले लीबासी? कोई आत्मा, या कोई अवतार या कोई भूत? सबके अलग अलग नाम थे शरीर पर । कोई आकाश तो कोई समाज । एक 30 साल का दिख रहा था , चेहरे पर अजीब तरह के काले पिले निशान थे । छाती पर लिखा था,समाज । इस दल में कुछ महिलाएं और दो बच्चे भी थे । एक बुढ़िया भी थी ,जिसके पेट पर बुढ़िया ही लिखा था । एक कमसिन बच्चा था जिसकी छाती पर लिखा था,साबुन । और एक खूबसूरत लड़की थी , बहोत खूबसूरत। जिसे कोई देख ले तो बस देखता रह जाये । जिसे कोई मरने वाला देख ले तो उसके जीने की ख़्वाहिश और बढ़ जाये । कहते हैं दुनिया मे कोई पर्फेक्ट नहीं होता , ना सूरत मे ना सीरत मे लेकिन , वो सूरत और सीरत दोनों मे पर्फेक्ट थी । हद से ज़्यादा खूबसूरत । शून्य मे थे उसके भाव और उसके सीने पे लिखा था , फ़लक ।

◆◆◆

फ्लैट खोलकर अंदर दाखिल हुआ वो शख्स । ये वही शख्स था, जो आज जंगल मे अपने कारनामे को अंजाम देकर आया था । जाने किसके अंगो को फेंककर आया था । फ्रीज खोलकर इसने पानी की एक बोतल निकाली और गटकने लगा । इसे बिल्कुल भी आभास और अहसास नही था, कि इसके इस फ्लैट में और भी कोई है । कौन ?

वही बारह लोग जो जंगल मे थे । हॉल में अलग अलग जगहों पर विराजमान ये बारह लोग, इस बाइक वाले को घूर रहे थे । फ्लैट के एक सोफे पर पर बैठे हुए वो गहरी सांस लेकर अचानक खुश हो गया , और जोर जोर से हँसने लगा । हँसते हुए ही उसने एक स्क्रिप्ट उठायी जिसके कवर पर लिखा था आकाश । और फिर उस शख्स ने कहा ,

" स्टोरीबाज़ की स्टोरी यही खत्म होती है , तरुण ने खत्म कर दी "

और फिर जोर से हँसने लगा । इसका नाम तरुण था , और इसे आकाश और उसके ग्यारह साथी घूरकर देख रहे थे । तभी स्लाइडर के पास रखे कुछ टाइप्ड पन्ने परिंदे के पर की तरह फड़फड़ाने लगे थे । तरुण का उन कागजो पर बिलकुल ध्यान नहीं था । तरुण ने अपने मोबाइल पर किसीका मैसेज देखा और फ्लैट से बाहर निकल गया । रह गए तो बस वो बारह लोग । तरुण के बाहर निकलते ही अकाश उन कागज़ों की तरफ बढ़ गया जो स्लाइडर के पास अब भी फड़फड़ा रहे थे ,वो भी बिना किसी हवा के । कागजो को उठाकर अपने सीने से लगा लिया उसने । बुढ़िया बोल पड़ी ,

" अब हमें क्या करना चाहिए ? "

आकाश ने सोफे पर बैठकर सोचते हुए जवाब दिया ,

" हम लावारिस हैं बुढ़िया , इन्तिज़ार के सिवा कुछ नही कर सकते " ।

अपनी माँ से भी बड़ी उम्र की बुज़ुर्ग औरत को वो बुढ़िया क्यो कह रहा था , आकाश भी अजीब था । इन बारह लोगो में जो सबसे खूबसूरत थी और जिसके पेट पर लिखा था फ़लक । फ़लक बुढ़िया के सामने आकर एक उदासी भरे अंदाज़ में कहने लगी ,

" इन्तिज़ार के बाद क्या करेंगे ? "

उसके इस प्रश्न का न तो आकाश के पास जवाब था और न तो बुढ़िया के पास । तभी समाज बीच मे कूद पड़ा , उसने कहा ,

" क्या ज़िन्दगी है , न हम जी सकते हैं ना मर सकते हैं । अंधेरा ही अंधेरा है । रास्ते सारे बंद हैं "।

समाज की इस बात पर बुढ़िया अचानक बोल पड़ी , " क्या कहा तूने ज़रा फिर से कहना समाज "।

समाज ने दुहराया ," रास्ते बंद हैं "

"नही ... कुछ और कहा था "

"अंधेरा है क्या करे."

"अरे नही कुछ दूसरा ही कहा था "

"कैसी ज़िन्दगी है ना जी सकते हैं ना मर सकते हैं "

समाज वाली लाइन को आकाश ने रिपीट किया । बुढ़िया खुश हो गयी । बुढ़िया बोलने लगी,

" हां , ये कहा था , लेकिन ये मरना क्या होता है " बुढ़िया की इस बात पर सब एक दूसरे का मुह ताकने लगे थे ।

◆◆◆

पुलिस स्टेशन में सब अपने अपने काम मे बिजी थे । ये लाल चौकी थाना था । और इस थाने का इंचार्ज इंस्पेक्टर पगारे काफी खड़ूस और अड़ियल किस्म का इंसान था । इंसान भी नही कह सकते क्योंकि उसका बर्ताव जानवरो जैसा था । इस जानवर का पाला आज मुम्बई के कुछ इंसानो से पड़ने वाला था ।

मैं यानि कि कुशल घर से लापता था । अपने बेटे यानि कि मैं कुशल के लापता होने की रिपोर्ट लिखाने के लिए मेरे पिता शर्मा जी मेरे भैया नकुल के साथ पुलिस स्टेशन में दाखिल हुए थे । एक किनारे एक बेंच पर बैठे सीनियर के आने का ही इन्तिज़ार कर रहे थे । पगारे आया , और आया भी तो नशे में ।

ड्यूटी पर कोई दारू पिता है ? लेकिन ये पगारे है , जब और जहां दिल करे पीता है । खैर, जब इसे मेरे पिता शर्मा जी ने अपने छोटे बेटे यानि मेरे गायब होने की शिकायत की ,तो पगारे हँसते हुए बोल पड़ा ।

" आप करोड़पति हो ? "

"जी नही "

"यानी कि आपके बेटे की किडनेपिंग नही हुई , आपका बेटा किसी के चक्कर मे था ? "

" जी नही ... मेरा कुशल एक शरीफ लड़का है वो तम्बाखू तक नही खाता . लड़की से बात तक करने में झिझकता है । कोई चक्कर नही "

" तो भाग क्यो गया ? "

" गायब है वो साब । भाग नही गया ..." इस बार मेरे भैया नकुल बोल पड़े ।

" ये कोन है ? "

"ये मेरा बड़ा बेटा है नकुल "

" आपलोग बोलते हो लापता है । उम्र उसकी 18 साल । 18 वर्ष का लड़का बच्चा नही होता । या तो अपनी मर्ज़ी से गया होएंगा या आपने निकाल दिया होगा घर से .... राइट ?"

इस बार पिता जी खामोश । पुलिस वाला समझ गया । और फिर भड़कना उसका लाज़मी था ।

" लड़का शरीफ था । तम्बाखू तक नही खाता था । लड़की से भी दूर रहता था । फिर इतने होनहार लड़के को कौन पिता साला घर से निकालता है , अभी मेको समझाओ शर्मा जी "

पुलिस वाले की इस बात से पूरा पुलिस स्टेशन सकते में था । एक दम चुप्पी । पिता जी का तो सर ही झुक गया था । भैया से रहा नही गया । भैया ने जवाब देने के लिए अपना मुंह खोला ..

" मेरा भाई कुशल एक स्टोरीबाज़ था "

पुलिस वाला हैरान हो गया ये सुनकर । वो बस कुछ सोचता ही रह गया था । भैया ने जैसे ही कहा कि मेरा भाई स्टोरीबाज़ है तो पुलिस स्टेशन के बाकी पुलिस वाले और दूसरे लोग इसी तरफ देखने लगे । पगारे खुद हैरान था । नशे में वो था पर उसे होश रहता था कि वो क्या देख सुन रहा है। वो बोल पड़ा ,

" स्टोरीबाज़ बोले तो ? वो झूठ बोलता था ... लोगो को गोली देता था झूट की ? "

पिता जी ये सुनकर थोड़ा रूखे स्वर में बोल पड़े ,

" मेरा कुशल झूठ नही बोलता , अच्छा लड़का है वो , समझदार है ..बहोत होशियार है वो ।"

पगारे पिता जी की बात से फिर इरिटेट हुआ .

" शरीफ लड़का । झूठ नही बोलता , होशियार लड़का घर से निकाल दिया गया । तुम्हारा ये बड़ा बेटा बोलता है कि वो स्टोरीबाज़ था । अभी शर्मा जी तुमिच बोलो कि स्टोरीबाज़ बोले तो क्या ?

" वो कहानिया लिखता था " पिता जी जी धीरे स्वर में बोले ।

" क्या ? कहानी ....बोले तो स्टोरी ..ऐसा जैसा उपन्न्यास पिक्चर विक्चर टाइप कहानी"

" हां "। भैया ने उत्तर दिया ।

पगारे हड़बड़ा गया । वो अपनी कुर्सी से उठकर कुछ सोचते हुए कभी हंसता तो कभी सर खुजलाने लगता । फिर अचानक वो बोल पड़ा ।

" अभी समझा , मैं स्टोरीबाज़ बोले तो क्या । लेकिन कहानी लिखने का टैलेंट सबको होता नही। और ऐसे टैलेंट वाले बेटे को कोई घर से बाहर निकालता है बोलो ?"

"साब , हमने उसे घर से निकाला , क्यो निकाला कब निकाला ये बाद में डिस्कस कर लो । अभी आप मेरे बेटे को ढूंढो । वो कहीं भी जाये । मैं कितना भी भगाऊँ , अपने बाबा से दूर नही रहता । आज तक तो वो आ जाता । पंद्रह दिन हो गया । मुझे कुछ ठीक नही लग रहा । "

पगारे को अब गुस्सा आ रहा था । और उसने गुस्से में ही बोला ।

" बेटे को घर से खुद निकाल दिया और पुलिस को बोलते तुम लोग ढूंढने को । चलो निकलो इधर से । निकलो । "

पिता जी हड्बड़ा गए । कुछ समझ नहीं आ रहा था उन्हे कि वो पगारे को अब क्या जवाब दें ।

"लेकिन "

" अरे क्या लेकिन वेकीन , काय काम नाही का आमच्या कड़े ..चला निघा शर्मा जी "

गुस्से में उसने पिता जी और नकुल भैया को भगा दिया । पिता जी उदास कदमो से ही नकुल भैया के साथ बाहर की तरफ चल दिये । पगारे बुदबुदा रहा था , तिचा आईला ।

मुंबई की एक सड़क पर बुढ़िया और आकाश के साथ फ़लक यहां वहां भटक रहे थे । साथ मे समाज भी था । आती जाती गाड़ियों के बीच वो गुज़र रहे थे । ये किसी को दिखाई नही दे रहे थे । काले लिबास पहने ये लोग कुछ ढूंढ रहे थे । आकाश ने कहा ,

" बुढ़िया हमे पता कैसे चलेगा कि मरना क्या होता है । "

" इसी मरने मे हमारा रहस्य है आकाश । हमे पता लगाना होगा