Chapter 2 - chapter 2

मणिकर्णिका परी

धीरे-धीरे समय गुजरता रहा वरदान 19 साल का नौजवान लड़का बन गया था ।

वह राजा का पुत्र था इसीलिए 19 साल की उम्र में सुंदर नौजवान दिखता था ।

वरदान ने अपनी मां का काम करना बंद कर दिया था।

वह खुद अपने पूरे घर की जिम्मेदारी उठाने लगा था।

वह लोगों की गाय चराकर अपना और अपनी मां का भरण पोषण करता था।

1 दिन वरदान जब अपने कुछ दोस्तों के साथ गाय चराने के लिए जंगल में गया, तो वह सब मिलकर गोटिया खेलने लगे।

वरदान ने अपनी मणिया निकाली , और उनसे वह गोटिया खेलने लगा ।

उन लड़कों में एक जोहरी का पुत्र भी था । उसने जब वरदान के पास वह कीमती मणिया देखी तो उसने तुरंत जाकर अपने पिता को सूचित किया।

उसके पिता ने एक कांच की मणि बनाई और उसे अपने पुत्र को दे दिया ।

और उससे कहा "जाकर इस मणि को वरदान की मणियो से बदल दो। "

दूसरे दिन जब वह लोग फिर से जंगल में गाय चराने आए ।

और फिर से गोटिया का खेल शुरू किया।

वरदान ने भी अपनी मणियों से खेलना शुरू किया।

जौहरी का पुत्र पहले से ही उसकी मणी लेने के इंतजार में बैठा था ।

उसने तुरंत अपने पास से वह कांच की मणी निकाली और उसे वरदान की असली मणियो के साथ बदल दिया।

शाम को जब वरदान गाय चरा कर घर आया तो उसने अपनी मणि निकालकर दीवाल पर रख दी।

जैसे-जैसे रात हुई मणिया चमकना चालू हो चुकी थी ।

पर एक मणि ही रोशनी दे रही थी ,दूसरी वाली नहीं ।

वरदान को सब कुछ समझ में आ गया।

वह समझ चुका था कि उसकी माणी चोरी हो चुकी है।

ईधर दूसरी तरफ उस लड़के ने जाकर मणी अपने पिता को दी ।

और उसके पिता ने जाकर उस मणि को राजा को भेंट के रूप में दे दिया।

वह अपने घर आ गया।

उसने सोचा "इस कीमती मणि के बदले में राजा उसके पुत्र को दरबार में स्थान देगा"

" या फिर वह अपनी राजकुमारी की शादी मेरे पुत्र से करा देगा।"

यही सब सोचकर जौहरी मन ही मन खुश हो रहा था।

दूसरे दिन सुबह जब राजा ने उस मणि को देखा तो उन्होंने कहा " इस मणी की जोड़ी होनी चाहिए "

और उन्होंने जौहरी को बुलाने के लिए अपने सैनिक भेजें ।

राजा का निमंत्रण देखकर जौहरी नंगे पांव आया और तुरंत अपने बेटे के साथ हाथ जोड़कर दरबार में खड़ा हो गया।

राजा ने पूछा "आपको ये मणि कहाँ से मिली ?"

"आपको इस मणि की जोड़ी मुझे देनी होगी अन्यथा मैं आपको और आपके पुत्र को कड़ी से कड़ी सजा दूंगा"

सजा का नाम सुनकर जौहरी हाथ जोड़कर खड़ा हो गया

और उसने राजा को सब बात बतादी कि उसने और उसके बेटे ने वह मणि कहाँ से प्राप्त की ।

राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया और वरदान को बुलाने के लिए भेज दिया।

राजा के सैनिक दरबार से जंगल में पहुँच गए और उन्होंने वरदान को राजा का आदेश सुनाया।

राजा का बुलावा सुनकर वरदान उन सैनिकों के साथ राजा के दरबार में आ गया।

और हाथ जोड़कर उसने राजा से शालीनता से उसे बुलाने का कारण पूछा ।

राजा ने उसे मणी दिखाकर कहा " क्या यह तुम्हारी बनाई है? "

वरदान ने मणी देखी उसके दिमाग में कई सारे सवाल थे।

पर उसने राजा" से एक भी सवाल ना पूछने का फैसला किया ।

उसने राजा को हाँ मे सिर हिलाया ।

राजा ने कहा क्या तुम्हारे पास दूसरी है?

बरदान ने हाँ मे जवाव दिया।

राजा ने उसे कहा क्या तुम अपनी दूसरी मणी मुझे दे सकते हो ?

इसके बदले में मैं तुम्हें दरबार में नौकरी दूंगा ।

तुम्हें मै 1,00,000 महीना भुगतान करूंगा,

तुम मेरे नीजी सलाहकार बनोगे।

जिस काम को करने से सब मना करेंगे वह काम तुम्हें करना होगा ।

कुछ देर वरदान ने इसके बारे में सोचा, और फिर उसने सोचा अगर उसे नौकरी मिल जाती है, तो वह अपनी मां को टूटी झोपड़ी से निकालकर एक पक्के मकान में रख सकेगा।

और वह उसकी अच्छे से देखभाल कर सकेगा ।

इसीलिए वरदान में हाँ में सर हिलाया और मणी राजा को दे दी ।

शाम को राजा दरबार से घर गए तो वह अपनी बेटी के कक्ष में चले गए ।

उन्होंने मणी राजकुमारी को दे दी।

मणि देखकर राजकुमारी बहुत खुश हूई ।

उसने तुरंत अपनी सेविकाओं को बुलाकर उन 2 मणी से हार बनवाया, और सुबह उस हार को पहनने के लिए बेसब्री से इंतजार करने लगी।

इधर दरबार में सब लोग अचानक वरदान को उन सब से ऊपर देखकर जलन होने लगी ।

वे लोग एक छोटे से बच्चे के सामने हार नहीं मानना चाहते थे।

वे लड़के को अपनी से उच्च पद पर बैठा हुआ नहीं देख सकते थे ।

उन्होंने आपस में सलाह मशवरा किया और वरदान को मारने का प्लान बनाया।

उन्होंने दरबार के सबसे चतुर नाई को बुलाकर इस समस्या का समाधान खोजने के लिए कहा।

नाई ने बताया "अगर हमने वरदान को यहां आस-पास मारा तो राजा का सारा सख हम लोगों तक जाएगा। "

"इसीलिए हमें उस लड़के को राजा के द्वारा एक ऐसी जगह भेजना चाहिए जहां से वह कभी लौट कर ना आ सके ।

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सुबह को राजकुमारी मणी का हार पाहन शिरडी के मंदिर में पूजा करने के लिए गई।

मंदिर पहुंच चतुर नाई शिव जी की मूर्ति के पीछे खड़ा हो गया और छुपकर राजकुमारी का इंतजार करने लगा।

जैसे ही राजकुमारी मंदिर में पहुंची और उसने अपने साथियों अपनी सहेलियों के साथ मिलकर शिवजी पर जल चढ़ाया ।

तभी चतुर नाई जोर से चिल्लाता हैं "जा रंडी दो मणियों की माला पहन कर तू मुझे दिखाने आई है ।"

"अगर तू मेरी भक्त है, तो मणियों की माला मेरे कदमो में रखेगी ।"

"अन्यथा मैं तुझे जलाकर भस्म कर दूंगा।"

लड़की उदास मन से अपने महल में आकर अपने कोप महल में चली गई।

और एक टूटी चारपाई पर लेट कर रोने लगी।

उसने तुरंत अपने पिता को संदेश भिजवाया, जैसे ही पिता को अपनी पुत्री का संदेश मिला वह तुरंत दौड़कर कोप महल में आ गया ।

और अपनी पुत्री को उदास देखकर उसके उदास होने का कारण जानने लगा।

लड़की ने उन्हें मंदिर में क्या हुआ सब कुछ बताया दिया।

उसके पिता ने अपनी बेटी को आश्वासन देते हुए कहा "चिंता मत करो पुत्री ।"

"मैं तुम्हारे लिए पुर्ण मणियों की माला बनवा लूंगा। "

और वो वहाँ से उठकर अपने दरबार चला गया ।

उसने दरबार में अपने सभी बहादुर धुरंधर सैनिकों को बुलवाया और पूछा "क्या आप लोग मुझे पुर्ण मणियो की माला ला सकते हो ?"

मणियों का नाम सुनकर सभी ने अपने हाथ खड़े कर दिए।

उनमें से एक ने राजा से कहा" हम कहाँ से लाएगे मणीयो की माला यह तो वही' लाएगा जिसको आपने ₹1,00,000 तनखा पर रखा है ।

राजा ने तुरंत वरदान को दरबार में आने का संदेश भिजवाया ।

वरदान "दरबार में आ गया और राजा के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो गया !

उसने राजा से कहा महाराज आपने मुझे किस कारणवश याद किया है ।

राजा ने वरदान से कहा " क्या तुम मुझे पूर्ण मणीयों की माला ला सकते हो ?

हां महाराज मैं "ला सकता हूँ।

राजा ने आश्चर्य से वरदान की तरफ देखा ।

मणियों के बदले में तुम्हें" क्या चाहिए? राजा ने पूछा।

उसे 6 महीने का वेतन और 6 महीने की सभी सामग्री 6 महीने का समय देना होगा।

राजा ने अपने सैनिकों से बुलाकर 6 महीने का राशन ,वेतन वरदान के घर उसकी मां के पास भेज दिया।

वरदान वहां से घोड़ा लेकर अपनी मां के पास आया।

और उसने अपने मां से कहा मां मुझे 6 महीने के लिए घर से बाहर रहना होगा।

जब तक तुम्हें अपना ख्याल रखना होगा ।

उसने अपनी मां का आशीर्वाद लिया और अपने घोड़े पर बैठकर जंगल की ओर निकल गयाचलते चलते वह उसी नदी के पास पहुंचा ।

जिस नदी में उसे मणी मिली थी ।

उसने क्या देखता " नदी की धारा में मणीया तहर रही थी ।

उसने ध्यान लगा कर देखा ।

यह मणीया जिस दिशा से आ रही थी, वह उसी ओर चलने लगा।

कुछ किलोमीटर चलने के बाद उसने देखा।

पानी के भीतर से एक बुलबुल आता था और वह मणी बनकर तहरने लगता।

उसने सोचा हो ना हो इसी जगह पर मणी का रहस्य छिपा होगा है।

उसने नदी में छलांग लगा दी।

और पाताल की ओर चला गया ।

पाताल में उसने क्या देखा" एक सोने का महल बना था।

महल के दरवाजे पर एक खूबसूरत लड़की मरी हुई पड़ी थी।

उसकी गर्दन से खून निकल रहा था ।

खून का कतरा ऊपर जाकर मणि मे तबदील हो जाती ।

वरदान ने सोचा मैं "छुप कर तमाशा देखता हूं ।

आगे क्या होने वाला है? वही दरवाजे के पीछे सब कुछ देखने लगा।

शाम को एक जिंद आया ।

उसने आकर उस लड़की को उठाकर उल्टे से सीधा किया और वह लड़की जिंदा हो गई ।

वरदान सब दरवाजे के पीछे से बैठकर छुप कर देख रहा था ।

जिंद ने अपनी बेटी से कहा "बेटी मुझे हमारे महल में एक मानव की खुशबू आ रही है।"

लड़की ने अपने पिता से झूलाकर कहा "पिताजी आप स्वयं मानव खाकरकर आए हैं ।"

"तो क्या आपको मानव की गंध नहीं आएगी ।

आपके ही शरीर से मानव की गंध आ रही होगी।

यहां महल के अंदर कोई मानव कैसे घुस सकता है ।

उसको अपनी बेटी की बात समझ में आ चुकी थी ।

और उसने सोचा सरद मेरी बेटी सही बोल रही है, मेरे ही शरीर से मुझे मानव गंदा रही होगी।

यह सब सोचकर वह सोने के लिए अपने कक्ष की ओर चला गया ।

दूसरे दिन जैसे ही सुबह हुई दानव अपनी बेटी को सीधे से उल्टा कर लड़की को मार दिया।

और उसे ले जाकर पलंग पर डाल दिया ।

और वह स्वयं शिकार के लिए जंगल में निकल गया।

दानव के जाते ही वरदान दरवाजे के पीछे से निकला और उसने उस लड़की को उल्टा से सीधा किया ।

लड़की तुरंत जिंदा होकर खड़ी हो गई।

उसने एक खूबसूरत आदमी को अपने महल में देखा , तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गई ।

उसने कभी भी किसी इंसान को अपने आसपास नहीं देखा था ।

लड़की वरदान का रूप देखकर उस पर मोहित हो गई, उसने वरदान को मन ही मन अपना पति मान लिया।

दिनभर वह वरदान के साथ चोपर खेलती रही ।

जब शाम को दानव के आने का समय हुआ तो" लड़की ने वरदान से कहा ,मेरे पिता आने वाले हैं !

आप मुझे मेरे पिता की तरह मार कर यहां डाल दे ,और आप उसी जगह पर जाकर छुप जाना जहां आप कल छिपे थे।

वरदान ने वैसा ही किया" उसने लड़की को मार कर पलंग पर डाल दिया ,और खुद जाकर दरवाजे के पीछे छूट गया।

कुछ समय बाद दानव आया, और उसने अपनी बेटी को फिर से जीवित कर दिया ।

आज भी उसे एक मानव की गंद आपने महल से आ रही थी ।

उसने अपनी बेटी से कहा पुत्री मुझे आज भी मानव की गंद अपने महल से आ रही है ।

लड़की ने बड़े ताव मे आकर अपने पिता से कहा।

आप हमेशा मानव का शिकार करती है ,तो क्या आपके शरीर से चंदन की खुशबू आएगी ।

दानव अपने कमरे में चला गया ,और सुबह होने का इंतजार करने लगा।

जैसे ही सुबह हुई दानव ने अपनी बेटी को फिर से उल्टा किया और मारकर पलंग पर डाल दिया ।

जैसे ही दानव वहां से गया वरदान ने उस लड़की को फिर से जिंदा कर लिया और उस लड़की से बातें करने लगा।

उसने लड़की से उसके सारे राज और उसका नाम पूछा लड़की ने उसे बताया मेरा नाम मणिकर्णिका है। मैं एक परी हूं। मेरी दो और बहने हैं। एक का नाम चीनदेव परी हैं। और दूसरी का नाम पुष्पगंधा है।

वह दोनों अलग-अलग लोकों में रहती हैं।

मैं यहां अपने पिता के साथ रहती हूं ।

मेरी छोटी बहन चीन देव लोक में रहती है ।

और मेरी सबसे छोटी बहन पुष्पगंधा फूलों के लोक में रहती है ।

जैसे ही वरदान को लगा, लड़की को उस पर पूरा विश्वास हो गया है ।

उसने लड़की से कहा "क्या तुम मेरे साथ यहां से निकलना चाहती हो !

लड़की ने हां में सिर हिलाया!

मेरे पिता मुझे यहां से कहीं नहीं जाने दे गे लड़की ने कहाँ।

वरदान ने उस लड़की से कहा "तुम अपने पिता से उसकी मृत्यु का कारण पूछ लेना ।

उसके बाद में तुम्हारे पिता की हत्या कर दूंगा ,

और तुम्हें यहां से लेकर चला जाऊंगा

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