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Chapter 3 - मैं अकेला रहना चाहता हूं ।

बचपन से झेलता ही आ रहा हूं मैं ,

सभी को छोड़ना चाहता हूं मैं ।

खुद के जाल में अब खुद ही फस रहा हूं मैं ,

ना जाने क्यूं दुनिया बदलने की चाह में ,

खुद की ही दुनिया बदल रहा हूं मैं।

तू मेरा है नहीं , जान के भी अनजान बन रहा हूं मैं ,

धीरे धीरे दुनिया के रास्ते पर चलना सीख रहा हूं मैं ,

उम्र यूंही सोच सोच के बर्बाद कर रहा हूं मैं।