Chapter 2 - chapter 1

( यह एक वन शॉट कहानी है )

सुबह 5:00 बजे श्री राम प्रसाद के घर में एक पुत्री का जन्म हुआ ।

कन्या देखने में बहुत ही सुंदर और स्वस्थ्य थी।

जब कन्या का जन्म हुआ तो।

श्री राम प्रसाद बहुत खुशी हुए ।

पर उनकी पत्नी और उनकी मां उदास हो गए ।

क्योंकि उनको लड़की नहीं चाहिए थी ।

श्री राम प्रसाद ने उनको समझाया कि लड़कियां तो देवी का रूप होती हैं। उन्होंने कहा "हर कोई नहीं मानता कि लड़कियां खास होती हैं।"

उन्होंने बहुत समझाया तब जाकर उनकी मां ने उस बच्ची को रखने का फैसला किया ।

श्री राम प्रसाद अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे।

पर उसकी मां को वह लड़की बिल्कुल नहीं सुहाती थी।

श्री राम प्रसाद अपनी बेटी को राजकुमारी की तरह पालते थे।

वह उनकी आंखों का तारा थी।

उन्होंने उसका नाम रानी रखा।

धीरे धीरे रानी बड़ी होने लगी।

वह अपने पापा की लाडली बेटी थी ।

पर उसकी दादी मां और मां उसको ज्यादा पसंद नहीं करती थी।

जब रानी स्कूल के जाने लायक हुई तो।

श्री रामप्रसाद अपनी बेटी को स्कूल भेजना चाहते थे ।

पर उसकी मां को यह बिल्कुल मंजूर नहीं था ।

उनहे लगता था लड़कियां पढ़ लिख कर क्या करेंगे?

रानी की दादी ने उसको स्कूल नहीं जाने दिया ।

और उसे घर के काम सिखाने लगी।

उन्होंने रानी को छोटी सी उमर में घर संभालना सिखाना शुरू कर दिया।

रामप्रसाद अपनी अपनी मां के फैसले से बिल्कुल खुश नहीं थे।

रानी सुबह से लेकर शाम तक घर का काम करती थी ।

श्री राम प्रसाद अपनी बेटी को बड़े प्यार से घर पर पढ़ाते थे।

रानी बहुत ही होशियार और समझदार थी।

रानी के पापा जो भी उसे पढ़ाते थे वह तुरंत सीख जाती थी ।

धीरे -धीरे रानी 9 साल की हो गई।

उसकी दादी उसकी शादी करने के लिए उसके पिता पर जोर डालने लगी।

श्री श्री राम प्रसाद अपनी बेटी की इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहते थे।

पर वह बेचारे अपनी मां के सामने क्या कर सकते थे?

उनकी माँ ने अपने कुछ रिश्तेदारों को बुलाकर रानी के लिए रिश्ता ढूंढना शुरू कर दिया।

और उन्होंने रानी का घर से निकलना बंद करा दिया।

वह चाहती थी कि रानी पूरा घर संभालना सीखें।

9 साल की उम्र में रानी के कंधों पर पूरे घर को संभालने की जिम्मेदारी आ गई ।

रानी का रिश्ता तय हो गया था।

रानी के पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे ।

पर दादी को रानी की शादी जल्द से जल्द करनी थी।

उन्होंने यह भी नहीं देखा लड़का कैसा है और क्या है ।

उन्होंने रानी की शादी कर दी ।

रानी के पति की उम्र भी लगभग 15 साल तक की थी।

शादी के बाद रानी अपने ससुराल चली गई।

रानी सिर्फ 9 साल की थी।

अब उसके ऊपर ससुराल की पूरी जिम्मेदारी डाल दी गई थी।

उसका पढ़ाई लिखाई सब बंद हो गई थी ।

रानी अपने ससुराल के सब काम हंसते-हंसते करती थी।

वह सभी काम अपनी जिम्मेदारी समझकर कर देती थी ।

अपने पति के साथ ही खेल लेती थी। उसी के साथ रानी बहुत खुश रहती थी। वह उसके साथ अपने पूरे दुख दर्द भूल गई थी।

उसने अपनी पूरी दुनिया अपने पति को बना लिया था ।

उसका पति भी रानी को बहुत प्यार करता था।

हंसी खुशी वो दोनों रहने लगे।

धीरे -धीरे समय गुजरता रहा।

रानी की शादी को 3 साल हो गए थे।

रानी की उम्र अभी 12 साल की थी।

उसके पति की उम्र 18 साल की थी ।

उसका पति अपनी पढ़ाई के साथ में काम भी करता था ।

जब एक दिन वह काम पर गया तो उसका एक्सीडेंट हो गया।

रानी के पति की उस जगह पर ही मृत्यु हो गई।

जब उसके ससुराल वालों को पता चला कि उनका बेटा नहीं रहा है ,तो उन्होंने इसका सारा इल्जाम रानी के ऊपर डाल दिया ।

उनका कहना था उनके बेटे की मौत रानी की वजह से हुई है ।

यह लड़की एक डायन है।

जिसने अपने पति को मार दिया।

उन्होंने रानी को बहुत मारा । उन्होंने मार-मार कर उसे घर से बाहर निकाल दिया।

ऐ उन्होंने यह भी नहीं देखा कि जब रानी को मारा जा रहा था तब रानी डेढ़ महीने प्रेग्नेंट थी।

उसके सास ने रानी के पेट में लात ही लात मारी।

इससे रानी दर्द में तड़पती रही।

रानी दरवाजा पर रोती रही।

रानी 2 दिन तक दरवाज़ा खुलने की रह देखती रही ।

पर किसी ने भी उसको घर के अंदर नही आने दिया था।

रानी का रोते-रोते बहुत बुरा हाल हो चुका था। रानी खून से लथपथ लड़ खड़ाते हुए अपने पिता के घर पहुंची और वह दरवाजे पर बेहोश हो गई ।

जब उसके पिता ने अपनी बेटी को ऐसी हालत में देखा तोउन्होंने तुरंत उसे हॉस्पिटल ले जाने का फैसला किया।

हॉस्पिटल में जाने के बाद उनको पता चला कि उसका बच्चा भी मर गया था।

रानी की दादी को बहुत बुरा लगा और उन्होंने इसका इल्जाम रानी के ऊपर डाल दिया।

वह रानी को अपने घर में नहीं रखना चाहती थी ।

उनको लग रहा था कि रानी एक डायन है। जिसने अपने पति को खा लिया और अब वह अपने आसपास के लोगों को खाने आई है।

उन्होंने जोर से चिल्लाते हुए कहा

"यह डायन है । इसने पहले अपने पति को खा लिया और फिर बच्चे को भी नहीं छोड़ा।"

"अगर यह हमारे घर पर रहेगी तो अपने भाई -बहनों को भी खा लेगी।" "

अगर यह हमारे साथ नहीं तो पता नहीं और क्या होगा?"

"मैंने तो यह पहले ही कहा था इस लड़की को पैदा होते ही मार देना चाहिए"

" पर तुमने मेरी एक बात ना सुनी।"

'"मैं जानती थी यह डायन कुछ ना कुछ तो करेगी।"

वह उसको घर से निकालना चाहती थी ।

पर इस बार रानी के पिता ने जिद पकड़ ली।

उन्होंने अपनी लड़की को कहीं नहीं जाने दिया।

उन्होंने अपनी लड़की को अपने साथ रखने और रानी को पढ़ाने की जिद पकड़ ली।

रानी के पिता ने उसका स्कूल में दाखिला करवाया।

और वो स्कूल जाने लगी ।

पर उसे स्कूल भेजना इतना आसान भी नही था।

एक लड़की जिसका पति मर गया हो।

उसको स्कूल जाने का भी अधिकार नहीं था।

लोग उससे तरह-तरह के ताने मारते थे।

उसको गंदी -गंदी बातें बोलते थे।

उसको बुरी तरह छेड़ते थे ।

उसका पीछा करते थे।

उसके चरित्र पर लांछन लगाते।

बदचलन, चरित्रहीन , कुल्टा कहते थे।

उसके चरित्र पर उंगली उठाते थे।

पर रानी इन सब से भी लड़ कर आगे बढ़ती जा रही थी।

धीरे-धीरे रानी पढ़ाई करने लगी और आगे बढ़ने लगी ।

रानी को पढ़ने की बहुत लगन थी।

उसके पिता ने उसकी पढ़ने में हर तरह से मदद की थी।

पर उसकी दादी और मां को ये पसंद नही था।

वो लोग उस पर बहुत अत्याचार करते थी।

रानी घर का सारा काम पूरा करके स्कूल जाती थी।

और स्कूल से आकर फिर से पूरा काम करती थी ।

उसके बाद भी उसकी दादी जो भी घर का बचा कुचा खाना होता था उसे ही रानी को देती थी।

उसकी दादी सिर्फ उसको गिन कर सूखी रोटी देती थी।

रानी फिर भी खुशी - खुशी वह सब खा लिया करती थी।

जो उसको करने के लिए बोला जाता था रानी बिना किसी हिचकिचाहट के कर देती थी।

रानी ने कभी भी किसी की बात का बुरा नहीं माना।

पिता की बात उसके लिए आशीर्वाद थी ।

वह अपने पिता की हर बात मानती थी।

धीरे-धीरे 8 साल बीत गए और रानी ने हाई स्कूल पास कर लिया ।

हाई स्कूल के बाद रानी ने ग्रेजुएशन करना चकती थी।

पर उसकी दादी यह नहीं चाहती थी ।उसकी दादी फिर से रानी की शादी करने की जिद पकड़ ली थी।

पर एक विधवा से कौन शादी करेगा?

उसकी दादी ने अपने सारे रिश्तेदारों से बोलकर रानी के लिए एक पति की खोज करना चालू कर दिया ।

उनके रिश्तेदारों में एक आदमी था।

उसकी उम्र रानी के पिता के समान थी।

रानी की दादी उस आदमी को अच्छे से जनती थी।

उन्होने ने उस आदमी के साथ रानी की शादी कर दी।

पर इस बर रानी के पिता ने अपनी बेटी की शादी के पहले एक सर्त रखी।

रानी के पिता ने कहा" मैं अपनी बेटी की शादी एक शर्त पर करूगा ,अगर आप उसको आगे की पढ़ाई करने देंगे ।"

जिस आदमी से रानी की शादी होने वाली थी ।

उसने कहा" हमें कोई परेशानी नहीं है।"

" रानी जब तक चाहे पढ़ सकती है।"

उन्होंने रानी के पिता की सभी सर्तो को माना।

कुछ दिनों बाद दोबारा शादी हो गई ।

शादी के बाद रानी अपने ससुराल चली गई ।

और घर संभालने लगी ।

पर इस बार जिंदगी रानी के लिए आसान नहीं थी।

देवरानी -जेठानी रानी को देखकर जलती थी क्योंकि रानी सबसे सुंदर थी।

उसकी उम्र भी बहुत कम थी ।

उसकी देवरानियाँ उम्र में रानी से बड़ी थी ।

वो रानी के सामने बूढ़ी दिखती थी।

इसीलिए उन्हें जलन होने लगी ।

और वह रानी को परेशान करने लगी।

वो लोग रानी को हर तरह से परेशान करने के नए-नए उपाय खोजती रहती और उसे तहाने मारती थी।

रानी इस शादी से वह बहुत परेशान थी ।

शादी के बाद रानी ने ग्रेजुएशन के लिए तैयारी करना स्टार्ट कर दिया।

पर उसे पढ़ाई करने का टाइम ही नहीं मिलता था।

ना तो वह कभी कॉलेज जा पाती थी ।

और ना ही कभी घर में पढ़ पाती थी।

जब भी वह पढ़ने बैठती तो उसके ससुराल वाले उसे पढ़ने के समय पर ही तरह , तरह के काम बता देते थे।

रानी भी हंसते हुए सभी काम करती थी ।

धीरे-धीरे समय बिरता गया।

रानी ने ग्रेजुएशन कंप्लीट कर लिया।

हर मुश्किल से लड़ते हुए वह अपनी पढ़ाई करती थी।

सबके सोने के बाद रात में रानी अपने पढ़ाई करती थी।

पूरा दिन उसे काम करने में बीत जाता था।

और रात भर वह पढ़ती थी।

रानी बहुत कमजोर होने लगी थी।

उसके पास नींद का नामोनिशान नहीं था।

पर उसको कुछ करना था, आगे बढ़ना था ।

इसीलिए वह अपनी पढ़ाई पर पूरी तरह से निर्भर हो गई थी ।

उसको कोई क्या बोलता है।इससे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता था ।

उसके ससुराल वाले उस पर हजारों तरह से अत्याचार करते थे।

फिर भी वह कुछ नहीं कहती थी।

उसने अपनी शिक्षा से सबका मुँह बंद करने का फैसला किया था ।

वह किसी की बात का कोई जवाब नहीं देती थी।

चुपचाप अपना काम करती ,और पढ़ाई करती थी ।

रानी की ग्रेजुएशन के बाद उसे हॉस्पिटल में स्टाफ नर्स का जॉब मिल गया था।

जॉब लगने के बाद रानी ,अपने घर का ख्याल रखती

और समय-समय पर अपने जॉब पर जाती थी ।

इससे रानी के पति को रानी से जलन होने लगी थी।

उनको लगता था "मैं एक बूढा इंसान हूँ। और यह एक सुंदर औरत है ।"

"इसका कहीं किसी और के साथ चक्कर तो नहीं चल रहा है।"

रानी जब भी लौट कर घर आती अक्सर उसके घर में उसके पति से झगड़े होते थे ।

वह रानी को मारता था ।

झूठे -झूठे इल्जाम लगाता था।

इस बार रानी कमजोर नहीं थी ।

रानी ने उनको मुंह तोड़ जवाब दिया ।

उसके हर इल्जाम का जवाब देती थी।

इससे उसका पति और भी गुस्सा होने लगा।

उसका गुस्सा उसकी चीड़ बन गया था।

वह रानी से नफरत करने लगा ।

उसकी नफरत दिन पर दिन रानी के लिए बढ़ती जा रही थी ।

1 दिन रानी अपने जॉब से रात में घर आई तो।

उसने घर में क्या देखा कि उसका पति अपने कुछ दोस्तों के साथ शराब पी रहा था।

रानी ने देखा तो उसने उन सबको रोकने के लिए अपने पति से कहा।

पर उसका पति रानी पर चिल्लाने लगा।

रानी को मारने लगा ।

उसके दोस्तों ने मिलकर रानी को पकड़ लिया।

और सब लोग मिलकर उसका बलात्कार किए ।

उसका पति यह सब देख कर हंस रहा था।

रानी रोती रही ,गिड़गिड़ा रही पर कोई उसकी बात नहीं सुन रहा था ।

उसका पति उसकी हालत देखकर और भी खुश हो रहा था।

वह इंसान नहीं जानवर बन गया था।

रानी की जिंदगी नर्क के समान होती जा रही थी ।

इस घटना के बाद रानी बुरी तरह टूट गई थी।

उसने यह सब बात अपने मां-बाप को बताने की सोची ।

पर उसके मां-बाप उससे ज्यादा उसके पति पर विश्वास करते थे ।

अब रानी हर तरफ से अकेली पड़ गई ।

उसके पास कोई सहारा नहीं था।

उसका पति अब रानी को धमकी देने लगा था।

जॉब छोड़ने के लिए धमकियों से तंग आकर उसने अपनी जॉब छोड़ दिया।

पर उसके पति को उस पर फिर भी भरोसा नहीं था।

वह हर रोज शराब पीकर रानी को मारता था।

रानी पूरी तरह से टूट चुके थी।

उसने सोचा इस जिंदगी से तो मौत भली।

रानी मरने के लिए घर से निकल गई।

चलते- चलते वह एक नदी के पुल पर पहुंच गई।

उस पुल पर खड़े होकर रानी अपनी जिंदगी, मैं हुए हर एक चीज के बारे में सोच रही थी ।

उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे

और अब वह बस अपनी जिंदगी को खत्म करनी चाहती थी।

उसने नदी में छलांग लगा दी ।

तभी एक आदमी ने उसको देखा ,और उस आदमी ने उसे पीछे नदी में छलांग गया दी।

उसने रानी को नदी से बाहर निकाल लिया और उसके हॉस्पिटल ले गया।

वह आदमी एक डॉक्टर था ।

उसका नाम डॉक्टर कृष्णा था ।

उसने रानी को हिम्मत दी और फिर से अपना काम शुरू करने का हौसला दीया।

कुछ दिनों बाद रानी उसी हॉस्पिटल में दोबारा से जॉब करने लगी था।

रानी ने अपने पति का घर छोड़ दिया।

एक किराए के कमरे में रहने लगी।

रानी अपनी पूरी इमानदारी से हॉस्पिटल में काम करने लगी।

डॉक्टर कृष्णा बहुत अच्छा इंसान था ।

वह मजबूर लोग और दबे कुचले लोगों की मदद करता था।

वह सब को हिम्मत देता था ।

वह इंसान नहीं था इंसान के रूप में कोई फरिश्ता था ।

डॉक्टर रानी को अपनी छोटी बहन की तरह प्यार करता था।

रानी उस पर विश्वास करती थी।

रानी उसके साथ में अपने सारे गम भूल जाती थी।

वह उसको हंँसाया का था।

रानी उसके साथ अपने सारे दुख दर्द बांटती थी।

वह रानी का एक तरह का सपोर्ट सिस्टम बन गया था ।

रानी अब उस पर सबसे ज्यादा विश्वास करने लगी।

doctor कृष्णा भी रानी के विश्वास पर खरा उतरता था।

रानी को उसके घर में परिवार का सुख मिला था ।

वो खुशी जो उसे बचपन से लेकर अभी तक नहीं मिली थी।

वह प्यार जो उसे अपने सगे भाई बहनों से नहीं मिला था।

उसकी जिंदगी बचपन से लेकर जवानी तक सिर्फ एक दर्द की थी ।

उसने बहुत सारे अत्याचार सहे थे।

उनका रिश्ता बहुत ही पवित्र था।

वह सच्चे भाई बहन थे।

वह एक सच्चा दोस्त ।

जो सब को चाहिए।

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रानी के पति ने अपने कुछ दोस्तों की मदद से रानी का पता लगाया।

२ महीने बाद उसे आखिरकार रानी का पता मिल गया।

और अब वो रानी को वापस लाने के लिए कुछ भी कर सकता था ।

वह रानी को वापस गया और उसने रानी से भीख मांगी ।

उसने कहा"रानी, तुम कृपया वापस चलो ।"

रानी ने पहले तो मना कर दिया पर फिर उसे लगा कि शायद उसका पति सुधर गया है ।

उसके पति के कई मनाने के बाद रानी ने घर आने के लिए हाँ कर दिया।

उन्होने कुछ दिनों तक रानी से बहुत अच्छे से बात की रानी को लगाया है कि उसका पति सही में सुधर गया है।

अब रानी भी अपने पति पर विश्वास करने लगी थी।

अब रानी का पति रानी को जो भी कहता था

वह उसकी बात मानने लगी।

उसका पति उससे जो भी कहता रानी वह करती।

उसने रानी से कुछ दिनो के लिए छुट्टी लेने के लिए कहा।

रानी ने वैसा ही किया उसने हॉस्पिटल से कुछ दिन के लिए छुट्टी ले ली ।

और अपने पति के साथ अपने घर में खुशी से रहने लगी।

पर रानी को कहां पता था कि यह सब एक चाल थी।

जो उसके पति और उसकी देवरानी जेठानी होने मिलकर बनाई थी ।

एक रात रानी का पति रानी के लिए मिठाई लाया ।

उन्होंने उसको मिठाई खाने को दी।

रानी ने वह मिठाई खा ली और सोने चली गई ।

रानी के पति ने जब यह देखा तो उन्होंने उसके ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी।

रानी को नशे की दवाई दी गई थी ।

जिससे वह चिल्लाए नहीं, उन्होंने बेहोशी का फायदा उठाकर उसको जिंदा जला दिया।

तब एक पड़ोसी ने दूसरे पड़ोसी ने उनके घर से धुआ निकलता हुआ देखा।

उसने तुरंत पुलिस को बुलाया।

पुलिस ने आकर देखा रानी आधे से ज्यादा जल चुकी थी।

पुलिस उसे हॉस्पिटल ले गए।

वहाँ पर उसका इलाज चालू हुआ ।

रानी का केस उसी डॉक्टर के पास गया।

वह रानी की कहानी जानता था।

जांच में पता चला की रानी 80 परसेंट से ज्यादा जल चुकी थी ।

उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं थी।

यह देख कर उसका पति बहुत खुशी था ।

उसने मन में सोचा "अगर यह मर जाएगी तो हमारा कोई क्या बिगड़ेगा ।"

उन्होंने रानी के बारे मे पुलिस को बताया कि रानी मानसिक रूप से रोगी थी ।

इसीलिए उसने खुद को मिट्टी का तेल डालकर जला लिया ।

पर डॉक्टर को इसमें कहीं कोई गड़बड़ दिखाई दी।

उन्होंने अपने पावर का फायदा उठाकर रानी को दूसरे हॉस्पिटल में स्विफ्ट कर दिया क्योंकि रानी जल चुकी थी ।

और कोई उसको नहीं पहचान सकता था ।

उन्होंने एक जली हुई लाश रानी के परिवार को सौंप दी ।

उन्होंने कहा "रानी अब जिंदा नहीं है।वह मर चुकी है ।"

"मुझे माफ कीजिए, मैं उसे नहीं बता पाया "

रानी के परिवार ने रोने -धोने का नाटक किया और उस जली हुई लाश को अंतिम संस्कार किया ।

सारे संस्कार करने के बाद आराम से रहने लगे ।

इधर डॉक्टर रानी को  दूसरे सिटी में और दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया था ।

वहाँ पर डॉक्टर की देखभाल में रानी का इलाज होने लगा ।

धीरे -धीरे उसकी हालत सुधरने लगी थी।

डॉक्टर उसकी हर प्रकार से देखभाल कर रहा था ।

वह रानी को अपनी छोटी बहन के समान प्रेम करता था।

उसने रानी की मदद करने का फैसला कर लिया । 1 साल बाद रानी पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी।

और उसके घाव पूरी तरह से भर चुके थे ।

पर उसके दिल पर लगे घाव उसके दिल को कैसे भरा जाए।

उसने वापस जाकर अपने साथ हुई बर्बरता, और नाइंसाफी की उन लोगों को सजा दिलाने का फैसला किया ।

उसने पुलिस स्टेशन में जाकर अपने पति , ससुराल वालो और उसके पति के दोस्तों के खिलाफ जाकर एफ आई आर दर्ज कराई ।

उसने अपने साथ बीती हुई हर बर्बरता की कहानी पुलिस वालों को सुनाई ।

वह पुलिस को लेकर अपने ससुराल पहुंची।

पुलिस ने उसके ससुराल वाले और उसके पति और उसके पति के दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया ।

पहले तो उन्होंने झूठ बोलकर बहाने बनाए और कहा यह लड़की पागल है ,पर जैसे ही पुलिस ने उन पर शक्ति की उन्होंने अपने किए गए हर एक गुनाह को कबूल कर लिया ।

कुछ दिन बार रानी का मामला अदालत के सामने रखा गया।

अदालत ने रानी की बर्बरता की दास्तां सुनकर और उसकी हालत देखकर तुरंत फैसला सुनाया।

अदालत नहीं रानी के पति को भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 307 के तहत उसे रानी की हत्या करने के कोशिश के तहत सजा सुनाई ।

अदालत ने रानी के ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा की धारा 498 के तहत सजा सुनाई ।

और रानी के पति के दोस्तों से दोस्तों को रानी के साथ किए गए बलात्कार के तहत धारा 376 सजा सुनाई सजा।

अदालत ने रानी के संघर्ष को देखते हुए उसकी सराहना की।

रानी ने अपने संघर्ष और आत्मविश्वास के बल पर विजय हासिल।

रानी की कहानी से हमें कभी ना हार मानने की प्रेरणा मिलती है।

लेखिका: रानू चौरसिया