रात का समय था। उस दिन हल्की-हल्की बारिश भी हो रही थी। ऊंचे से पहाड़ पर एक आदमी बङी गहरी सोच में पड़ हुआ था। उसके हाथ में एक "किताब" भी थी। तभी उसको एक "आवाज़" सुनाई पड़ती है और वह हैरान होकर कहता है -"यह आवाज़ कहाँ से आ रही है!" आवाज़ बहुत हल्की सी होती है। वह आदमी उस आवाज़ की तरफ बङने लगता है। जैसे जैसे वह आवाज़ की ओर बढ़ता है वैसे-वैसे वह आवाज़ और भी साफ होने लगती है। तभी वह आदमी देखता है कि { रुको! रुको! रुको! ज़रा एक minute. हम लोग कब तक इस "character" को "ये आदमी" "वो आदमी" कह कर बुलाते रहेंगे। तो चलो हम इन महाशय का नामकरण कर देते है। Umm.... क्या नाम रक्खा जाए? Umm... Umm... Umm... हा! मिल गया "अपरिचित" कैसा रहेगा। क्योंकि इनका कोइ परिचय तो हुआ नही है। तो अभी के लिए "अपरिचित" ठीक रहेगा। वैसे इस नाम पर एक "movie" भी बनी थी। जिसमें "अम्बी" नाम का एक लङका "computer" चला के "यमराज" बन जाता है। आप लोग यह सोच रहे होंगे इतनी बकवास कर गया ये बन्दा। आखिर ये है कौन? तो "reader" आपका स्वागत है। मै हूँ इस कहानी का "narrator" आप मुझे "Addy" बुला सकते हैं। तो चलिए हम आगे बढ़ते है अपनी कहानी की ओर।}
"अपरिचित" आवाज़ की ओर बढ़ता है। तभी वह देखता है कि एक पेड़ के नीचे टोकरी में एक नन्हा सा "बच्चा" जो "4 महीने" का भी नही होगा उसको कोई छोङ गया है।
"अपरिचित" बच्चे की तरफ बढ़ता है। अपरिचित उस बच्चे को अपनी गोद में उठाता है बच्चे को गोद में लेते ही अपने मन में ही खो जाता है। उसके मन में किसी दूसरे बच्चे की छवि नज़र आती है। एकदम से वो अपने ख्वाबो से बाहर आता है कहता है कि- "आखिर इस प्यारे से बच्चे को यहाँ छोड़ा किसने होगा?" "अपरिचित" उस बच्चे की तरफ देखता है और मुस्कुराते हुए कहता है कि "चलो कोई नहीं छोटू तुम्हे मै अपने घर ले जाता हूँ।" यह कह कर अपरिचित उसे लेकर अपने घर की ओर निकल पड़ता है।
{ तो हमारा "अपरिचित" उस नन्हे से बच्चे को लेकर अपने घर की ओर बड़ गया। तो ये "chapter" यहीं खत्म होता है। पर कहानी अभी बाकी हैं मेरे दोस्त। तो आगे की कहानी के लिए मेरे साथ बने रहे। मैं हूँ आपका दोस्त "Addy".}✌