एक बार जब रावण ने सोचा कि आज तो हनुमान की पूँछ ही उखाड़ देता हूं । न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी ,तो हनुमान जी एक शिला पर बैठे थे और राम नाम का जाप कर रहे थे तो रावण चुपके से पीछे से जाकर पूँछ पकड़ खींचने लगा और उसने अपने दशों भुजाओ का जोर लगाया । तब हनुमान जी को अहसास हुआ कि पीछे कोई तो है जो मुझे गुदगुदी हो रही है तो हनुमानजी ने पीछे देखा तो रावण पूँछ खींच रहा था । फिर हनुमान जी ने विचार किया की क्यों न कुछ किया जाए । हनुमानजी उसी समय आकाश में उड़ चले और रावण ने पूँछ पकड़ रखी थी तो वो भी अगर पूँछ हटी तो दुर्घटना घटी।
शिक्षा :- कभी भी पीछे से वार और पीछे देखो मत लोग हमेशा आपकी पूँछ पकड़े गे लेकिन आपको हर मुश्किल पर कर देनी है ।