Chereads / मेरी किताब / Chapter 1 - वो दिन ✍️

मेरी किताब

Bhaskar_Bhardwaj
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Synopsis

Chapter 1 - वो दिन ✍️

मेरे जिंदगी के कुछ खास पल जब शुरू हुए , मैं कॉलेज जाने लगा ।

मेरा पहला दिन था कॉलेज में मैं अपने दोस्त सत्यम के साथ क्लास में गया ,टीचर आई और सभी छात्रों को बोल के गई की जो काम मिला है कल बो मैं देखूंगी सब पूरा करके लाए,

मैं और सत्यम किसी को नहीं जानते थे।

हम दोनों गाने सुन रहे थे तभी एक लड़की जो हमारे आगे बैठी थी बोलने लगी आप लोगो को कोई काम नहीं है क्या इतनी तेज आवाज में गाने सुन रहे हो,

हमने बोला नहीं काम नहीं है नये है हम दोनों

मैंने सत्यम से बोला कि इस लड़की से ही फाइल मांग लेते है और काम करके वापस दे देंगे ।

सत्यम और मैंने फाइल मांगी उस लड़की से ये बोलके की आप अपनी फाइल दे दीजिए हम काम करके आपको वापस दे देंगे , लड़की बोली मैं आप दोनों को जानती भी नहीं और कल आप लोग नहीं आए तो ?

मैंने बोला आप यकीन करो कुछ भी होजाए कल आपको आपकी फाइल मिल जाएगी प्रॉमिस,लड़की ने कहा ठीक है ।

लड़की ने फाइल दिया और पूछा नाम बता दो अपना मैंने अपना नाम बताया (भास्कर) और मैंने उसका पूछा लड़की ने अपना नाम (कंचन ) बताया ,फिर हम घर चले आए और फाइल से सारा काम किया और मैंने अगले दिन कॉलेज जाकर कंचन की फाइल दे दी ।

अगले दिन भास्कर और सत्यम यानी मैं और मेरा दोस्त कॉलेज गए और कंचन हमारी दोस्त बनी,वो हमारी हमेशा हेल्प करती थी और दूसरी की भी ।

कुछ टाइम बाद हमारे और दोस्त बने (अनिकेत,परमजीत, आयुशी,रोशनी ) और भी कई नय दोस्त बने ।

इसमें से रोशनी कंचन के साथ थी जो हमेशा उसके साथ रहती थी,उनका आपस का रिश्ता भी था ।

धीरे धीरे दिन बित तय गए और सितंबर आ गया

23 सितंबर को कंचन का जन्मदिन था ,

हम कुछ दोस्त कॉलेज के पास एक मॉल था वहां गए (लोजिक्स मॉल ) जहां कंचन का जन्म दिन मना रहे थे ,

मैं घर आ गया और सत्यम भी लेकिन कुछ टाइम बाद मैन फिर गया सब लोग मॉल में ही थे,मैंने कंचन के लिए एक गाना अपने फोन में चलाया फिर कंचन ने एक गाना हम सब को गा के सुनाया कंचन से बहुत अच्छा गया था ।

मैं बीतते दिनों के साथ कब कंचन को कंचन को पसंद करने लगा मुझे पता ही नहीं चला

ये बात मैंने अपने दोस्तो अनिकेत और परमजीत और सत्यम को बताया, फिर सबने मुझे राय दिया कि भास्कर तुझे कंचन को बता देना चाहिए

मुझे भी लगा कि शायद बताना तो चाहिए,फिर एक दिन 14 फरवरी को हम सब कॉलेज के साइड वाले पार्क में बैठे थे और कंचन ऊपर क्लास के पास थी

हम ने आपस में बात की मैंने परम ने अनिकेत ने और सत्यम ने फिर मुझे इन सबने कसम दी और कहा कि आज कंचन को अपने मन कि बात बता दे,

मैंने कहा सामने से नहीं बोल सकता तो इन्होंने कहा फोन पे बोल लेकिन बोल ,

मैंने हिम्मत कि और कंचन को कॉल किया उसने उठाया मैंने बोला कंचन कुछ बोलना है उसने बोला हा बोल ,मैंने धीमी आवाज में उसे अपने मन्न की बात की मै तुमसे प्यार करता हूं (आई लव यू ) और फोन काट दिया ।और कॉलेज से चल दिए घर के लिए तभी थोड़ी देर म कंचन का मैसेज आता है और बोल लिखती है वो मुझे पसंद नहीं करती सॉरी ।

मुझे धुख हुए लेकिन सोचा सबकी अपनी जिंदगी है ये सोच के घर आ गया ।

मैंने सोच लिया कि अब कंचन से बात नहीं करूंगा लेकिन अगले दिन कॉलेज मे कंचन खुद हमसे बात की ,मुझे लगा कोई नहीं दोस्त तो है ,फिर दोस्तो ने कहा कोई बात नहीं मना कर दिया तो एक बार फिर बोल सकता है टाइम आने दे।

फिर कई बार मैंने कंचन को अपने प्यार का अहसास दिलाया लेकिन उसने हर बार मना कर दिया ,एक दिन कंचन ने बताया वो किसी और से प्यार करती है और हमेशा उसी से करेगी ।

तो मेरे दोस्तो ने कंचन से बात की थोड़े टाइम बाद कंचन को ये बोला की भास्कर अच्छा लड़का है तुमको खुश रखेगा उसे हां करदो ,लेकिन कंचन फिर भी नहीं मानी

मैंने हर कोशिश की लेकिन कभी उसके दिल में अपने लिए जगह नहीं बना पाया बो मुझे बस अपना दोस्त मानती रही,

धीरे धीरे मेरे दोस्त भी बोलने लगे कंचन को भूल का आगे बढ़ लेकिन में कभी कंचन को भूल नहीं पाया ना छोड़ पाया।

दोस्त गुस्सा होने लगे और बोलने लगे अगर अब तूने हमसे कुछ भी कहा अपने और कंचन के बारे में तो बात नहीं करेंगे

अच्छी बात कर करना है तो लेकिन ये बात बंद कर दे।

और मैंने अपना प्यार छुपाना सीख लिया ना कभी दोस्तो को बताता और ना कभी कंचन को ,एक नॉर्मल तरीका धुंड लिया सबसे बात करने का ।

और अपने प्यार को अपने तक रखने का ,

अब मैं खुद के अंदर जीने लगा मैंने चार साल कंचन को ये अहसास दिलाना चाहा की मैं उससे प्यार करता हूं

वो जानती थी लेकिन सयाद मेरी किस्मत खराब थी इसलिए कभी वो समझ नहीं पाई ।

मैं अपना दुख खुदमे रखने लगा ना कभी दोस्तो को बताता ना किसी और को कंचन से बात होती लेकिन नॉर्मल तरीके से इसका मतलब ये नहीं था मैं उसको प्यार करना छोड़ चुका हूं बल्कि अपना प्यार छुपाना सीख लिया कभी भी कंचन को नहीं बताता लेकिन प्यार कल भी करता था और आज भी करता हूं ।

(भास्कर)