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Chapter 8 - अगली सुबह

सारी रात नहीं सोने के कारण उसकी आंखों में थकान दिखती है । सुबह उसकी मां उससे पूछती है

" क्या हुआ बेटा , तुम्हारी आंखें लाल कर्मों है ? "

प्रेरणा " कुछ नहीं मां । मुझे स्कूल जाने में देरी हो रही है मैं तैयार होने जा रही हूं ।" यह बात बोलकर वज्ञ तैयार होकर स्कूल चली जाती है ।

उस दिन सुबह आकाश स्कूल जल्दी आ गया था । प्रेरणा क्लास में प्रवेश करते ही आकाश को देखकर सहमी-सहमी रहती है । प्रेरणा के साथ उसकी दोस्त सुमन भी रहती है। प्रेरणा सुमन के हाथ को जोड़ से पकड़ लेती है। उसके बाद दोनों बेंच पर बैठ जाती है ‌। प्रेरणा को ऐसे देखकर सुमन उससे पुछती है , क्या हुआ प्रेरणा तुम आकाश को ऐसे क्यों देख रही हो ।

प्रेरणा : अरे यार , तुम नहीं जानती हो , कल न आकाश ने ना मुझे रात में मैसेज किया था । पहले तो मेरी डीपी देखकर बोला अच्छी लग रही हो , फिर मुझे प्रपोज किया । उसके बाद मुझे 24 घंटे में रिप्लाई भी करने को भी बोला है । देख न यार आज भी मुझे आकाश कैसे घूर रहा है ।

सुमन : अरे यार तुम न ऐसे उस पर ध्यान मत दो । मुझे लगा ही था कि वो तुम्हे प्रपोज करेगा । चलो अब तुम उसकी बातों को छोड़ो और क्लास करो ।

अब गेम का पिरियड था । आकाश प्रेरणा से बात करना चाहता था । वह बहुत ही तेजी से प्रेरणा के पास आकर खड़ा हो जाता है । लेकिन प्रेरणा उससे एक दूरी बनाने की कोशिश करने लगती है और वहां से चली जाती है । प्रेरणा उस दिन उसको हां नहीं ‌बोलतु है ।

स्कूल कि छुट्टी होती है । आकाश फिर प्रेरणा से बात करने के लिए उसके पीछे जाता है , लेकिन प्रेरणा उसे अपने पीछे आते हुए देख लेती है । वह अब बहुत तेजी से चलने लगती है । " प्रेरणा , रूको तो तुम से कुछ बात करनी है " आकाश उसे पीछे से आवाज देता है ‌। प्रेरणा स्कूल वाली बिल्डिंग से निकल कर बस की तरफ दौड़कर , बस में जा बैठती है । जब आकाश बस की तरफ आता है तो प्रेरणा बस की खिड़की बंद कर देती है ‌। उसके बाद वो घर पहुंच कर सो जाती है ।