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E-ishq

Ritik_kumar_8792
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Chapter 1 - न खुद मिलते हैं न नजरें मिलाते हैं

वो मुझे देखकर नजरें झुकाते हैं

न खुद मिलते हैं न नजरें मिलाते हैं

वो जख्म देकर रोने भी न देते हैं

खुद ही रुलाकर खुद चुप कराते हैं

गलती हमारी पर आई'म् सॉरी उन्होंने बोला

क्या हाल है हमारा हम उन्हें कहाँ दिखाते हैं

दुःख इस बात का कम था कि उसने सॉरी बोला

खुशी इस बात की ज्यादा कि वो हमारे रोने की चिंता जताते हैं

----वो मुझे देखकर नजरें झुकाते हैं

न खुद मिलते हैं न नजरें मिलाते हैं

उनकी मुस्कुराहट में बसंत का मजा है

दुनिया के और मौसम हमें कहाँ भाते हैं

उनकी आँखों में मय का मजा है

मयखाने और कोई हमें कहाँ सुहाते हैं

हम उनके चहरे से नजरें न हटा पाते हैं

दुनिया में और भी हैं खूब पर हम कहाँ देख पाते हैं

सब करते हैं खुदा की इबीदत हम तो उन्हीं में खुदा पाते हैं

पूजा तो न करते हैं पर हर प्रहर ध्यान जरूर लगाते हैं

--------वो मुझे देखकर नजरें झुकाते हैं

न खुद मिलते हैं न नजरें मिलाते हैं