आज सालों बाद देखा था उसे । वहीं जहां हम सारे दोस्त बचपन मे मिला करते थे !! उसी पीपल के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर !! उदास सा, आंखों में नमी लिए ना जाने किसकी राह तक रहा था वो । पहले तो मैंने सोचा जाकर बात करूँ उससे..! लेकिन फिर कुछ सोच के रुक गयी! मैं उसे देखते-देखते निकल गयी। शाम को जब ऑफिस से आई तब वो वहां नही था !! शायद जिसका इंतज़ार कर रहा था वो आ गया या शायद आया नही तो इंतज़ार कर के चला गया..!!
घर तक पहुँचने तक उसी का चेहरा घूमता रहा आंखों के सामने। घर पर भी मन नही लगा किसी काम मे। आज घर पर भी कोई नही था जिसके साथ बैठ सकूँ। अकेले और ज्यादा परेशान हो गयी। अचानक से याद आया स्टोर रूम में आज भी मेरी पुरानी कॉपियां रखी हुई है। मैं फौरन पहुंच गई स्टोर रूम में। एक बॉक्स में बहुत सारी कॉपियां रखी हुई थी। उन्ही के बीच एक मोटी सी डायरी।
मेरी प्यारी डायरी। जिससे मैंने अपनी हर बातें शेयर की। अपना हर सुख-दुःख बांटा । जो बातें मैं कभी किसी से ना कह सकी वो सब मैंने अपनी डायरी को बताई। कई राज़ छुपा रखे तो मेरी डायरी ने अपने पन्नो में। उन्ही राज़ में से एक राज़ था मेरे उन अनकहे अहसासों का राज़ जो मैं किसी से कह ही ना सकी।
कोशिश तो की थी लेकिन सफल ना हो सकी। एक डर जो था मन मे। "कहीं उसने मना कर दिया तो..?" बस इसी डर से हार गई थी मैं। आज जब उसे देखा तो फिर से वो दबे अहसास फिर से जाग उठे !!
बचपन से साथ पढ़े हम । फिर ग्रेजुएशन तक का सुहाना सफर। और उसके बाद ..... उसके बाद अपनी अलग राह चुन ली उसने । मंज़िल अलग थी उसकी।
मनन... हाँ यही तो नाम है उसका । उसका नाम लेते ही दिल के तार झंकृत हो उठे। कितना बदल गया था वो। आज लगभग चार साल बाद जो देखा था उसे !! पर देखते ही पहचान गयी मैं उसे ! "क्या वो भी पहचान पायेगा मुझे..?"