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Chapter 326 - तुम क्यों हमेशा मुझे फंसा के नुक्सान पहुंचाने की कोशिश करती हो?

किसी ने ठन्डे पानी की बाल्टी सु कियानक्सुन पर डाल दी। वह अचानक से चिल्लाई और अब यह नहीं दिखा सकती थी कि वह बेहोश थी। उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं।

युवती की नज़रे सु रान के चेहरे पर गई। उसकी आँखों में एक अजीब सी गंभीर नज़रे थी। 

सु रान ने गुस्से में बाल्टी को हाथ से उछाला। वो आगे बढ़ी और सु कियानक्सुन को अपनी ओर खींचा और उसके चेहरे पर काफी बार थप्पड़ मारा!

सु कियानक्सुन को उसके गाल पर तेज़ जलन महसूस हुई और मुँह में खुनी स्वाद आया। ऐसा लग रहा था कि सु रान ने उसे सच में बेहद जोर से मारा था। 

 हालांकि , सु रान को संतुष्टि नहीं हुई थी। उसने युवती को मुक्के और लातें मारना शरू कर दी थी। 

सु रान पागलपन में उसको मारने लगी। सु कियानक्सुन केवल खुद को सिकोड़ सकती थी ताकि चोट उसके शरीर के महत्वपूर्ण भाग पर ना लगे। कुछ मिनटों और सेकंड्स बीतने के बाद। सु रान ने गोदाम में एक पुलिस का डंडा देखा। उसने वो डंडा उठाया और सु कियानक्सुन को एक अनियंत्रित तरीके से पीटना शरू कर दिया। 

यह केवल तब जब कोई वहाँ आया और अपने नियंत्रण से बाहर हुई सु रान से डंडा छीना और उसे ज़मीन पर गेर दिया , तब आखिर में सु रान ने उसको पीटना बंद किया और हांफना ।

सु कियानक्सुन को अब पता नहीं था कि उसके शरीर के किस हिस्से में दर्द हो रहा था। वो केवल जानती थी कि उसके शरीर के हर हिस्से में दर्द हो रहा था। वो आखिरकार सॉंस ले पा रही थी। जैसे ही उसने अपना मुँह खोला , उसने मुँह से खून उगला। 

"बहुत हो गया। अगर तुमने उसे मारना जारी रखा , उसका चेहरा नष्ट हो जायेगा और मेरे दोस्तों को उसमे कोई दिलचस्पी नहीं रहेगी। " 

आदमी के शब्दों ने सु कियानक्सुन को पसीने पसीने कर दिया। वो उसके कहने के मतलब को जानती थी। अगर यह घिनौने आदमी उसके साथ जबरदस्ती करेंगे , इससे बेहतर सु रान उसे मौत के घाट उतार दे। 

"तुमने वादा किया था कि जब तुम्हारा काम खतम हो जायेगा , तुम इसे मुझे सौंप दोगे- जबकि वह अभी भी जीवित है! "सु रान ने हाँफते हुए कहा। सु कियानक्सुन के चेहरे पर घबराहट देख कर , उसे बेहद ख़ुशी महसूस हुई। 

"चिंता मत करो। मेरे मालिक ने मुझे वादा किया था और वह अपनी बात रखेगा।

वो जल्दी वापिस आएगा। तुम उसे इतनी बुरी तरह से नहीं मारना चाहती और जिससे मेरा मालिक उसके प्रति अपनी रूचि को खो दे , क्या तुम चाहती हो ?" 

जब आदमी ने अपनी बात ख़तम की , उसने जख्मी युवती को ज़मीन पर देखा और अभी के लिए वहाँ से चला गया। 

सु रान और सु कियानक्सुन गोदाम खाने में अकेले रह गए। सु कियानक्सुन बची हुई ताक़त से संघर्ष करके उठी और दीवार के लग कर बैठ गई। उसने सु रान को देखा। 

सु कियानक्सुन अचनाक से जोर से व्यंग्यपूर्ण मुस्करायी। " सु रान , मैने हमेशा तुम्हारे साथ इज़्ज़त और प्यार से व्यव्हार किया है। मैने कभी तुम्हरे साथ गलत नहीं किया , एक बार भी नहीं। तुम हमेशा मुझे क्यों फंसा कर नुक्सान पहुंचने की कोशिश करती हो ?" 

जब सु रान ने यह सुना ,उसने जोर से हसना शरू कर दिया। उसके चेहरे पर विस्तृत मुस्कारहट बिगड़ी और मानसिक लग रही थी। सु कियानक्सुन ने केवल उसे गंभीरता से घुरा। एक पल के बाद , सु रान ने हसना बंद कर दिया और सु कियानक्सुन को नफरत भरी नज़रो से देखा। 

"क्यों ? क्योकि मैं तुमसे नफरत करती हूँ ! मैं तुमसे तब से नफरत करती हूँ जब से मैं तुमसे पहली बार मिली थी !मुझे नफरत है कि तुम हमेशा विकसित और अभिमानी दिखती हो। तुम हर दिन लिमोसिन में स्कूल आती थी। मेरा आखरी नाम भी सु है और तुम्हारा भी। लेकिन ऐसा क्यों कि तुम एक अमीर परिवार में पैदा हुई हो और सबसे प्यार भी मिला , जबकि मैं एक किसान बन के रह गई जिसे सबने तिरस्कार किया गया था और और दूसरों के द्वारा नीचे दिखाया गया ? "

"तुम केवल पागल हो!" सु कियानक्सुन ने उसको गुस्से से देखा। जबसे उसने सु रान का असली रूप देखा था , वह अब उसके दिमाग में इन दुष्ट विचारों के बारे में जानकर हैरान नहीं हुई।

" मैं तुम्हारे दिखावटी व्यव्हार से और भी नफरत करती हूँ ! तुम सबसे बहुत प्यार और दयालु व्यव्हार करने का नाटक करती हो। हर बार जब भी तुमने मुझे पैसे दिए , मुझे तुमसे बहुत घृणा महसूस हुई! "सु रान ने गुस्से से कहा।

"क्योकि तुम्हे मुझसे घृणा है , तुम मेरे पैसे को वापिस लौटा सकती थी !"

सु कियानक्सुन सच में सु रान से घृणा उत्पन्न हो रही थी। 

"हुह , मैं पैसे वापिस क्यों करूंगी ? मैं बेवकूफ नहीं हूँ। मैने तुम्हारे पैसे लिए और फिर तुम्हारा मजाक बनाया। इस तरह मुझे काफी संतुष्टि मिली !" 

सु कियानक्सुन हक्की बक्की रह गई। उसके पास अब उस महिला को कहने के लिए कुछ और नहीं था। सु रान का दिमाग घूम गया था कि सु कियानक्सुन से बात करना बिल्कुल बेकार था। 

"क्या तुमने हमेशा ऐसे नहीं दिखाया कि तुम काफी दान शील हो ? तुमने मुझे तब पैसे देने से क्यों इंकार कर दिया था जब मैं विदेश में पढ़ना चाहती थी ?" सु रान ने सवाल पूछते हुए नरगाज़ी दिखाई। उसकी आँखें एक भयानक हद तक चौड़ी हो गईं, जैसे कि उसकी आंख बाहर निकलने वाली थी । वह असाधारण डरावनी दिखाई दी।

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