लॉन्ग सिजु को अचानक से बेहद निराश महसूस होने लगा , जैसे कि उसके सीने में कोई बोझ हो जिससे उसका दम घुटने लगा। वह बहुत बुरी तरह से धूम्रपान करना चाहता था।
उसने अपनी जेब में हाथ डाला , सिगरेट के डिब्बे को छुआ और एक सिगरेट को बाहर निकालना चाहता था। लेकिन उसे फिर अहसास हुआ कि वो वार्ड में है ; जो की धूम्रपान निषेध इलाका था। वो तुरंत ही खड़ा हुआ और वार्ड से बाहर चला गया।
सु कियानक्सुन ने दरवाज़े खुलने और बंद होने की आवाज़ सुनी। उसने अपने होंठ को धीरे से दबाया और महसूस किया जैसे वह मुश्किल से सांस ले सकती है।लेकिन कियानक्सुन ने खुद को आंसू बहाने से रोका , क्योंकि वह खुद को लॉन्ग सिजु के सामने फिर से अपमानित नहीं करना चाहती थी।
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लॉन्ग सिजु वार्ड से बाहर चला गया और फिर वापिस नहीं आया...
सु कियानक्सुन के ड्रिप लगने के बाद, नर्स उसके हाथ से हाइपोडर्मिक सुई निकालने के लिए आई। एक बार युवा नर्स वहाँ से चली गई , कियानक्सुन वार्ड में अकेली रह गयी ।
युवती बैठ गई। उसने अपने घुटनों को एक भ्रूण की स्थिति में खींच लिया। खाली वार्ड को घूरते हुए उसे अचानक से अपने सीने में घुटन का अहसास हुआ। कोई नहीं जनता था कि उसका सबसे बड़ा डर था अकेले रह जाना , खासकर जब वो घायल या बीमार हो। ..
पुराने दिनों में , जब कियानक्सुन अपने परिवार के साथ रहती थी , तब जब भी वो बीमार हो जाती , तो अपने पास किसी को रखती थी। यहाँ तक कि उसका ऑटिस्टिक भाई भी उसका साथ देगा बिना एक भी शब्द कहे और बिना उसकी ओर देखने के बावजूद भी ...
सु परिवार के टुकड़े टुकड़े होने के बाद , कियानक्सुन अकेली रह गई थी। चाहे कुछ भी हो जाये , चाहे जिंदगी कितनी भी रूखी और निर्दय हो , चाहे कियानक्सुन कितनी भी भयभीत हो , वो अकेले ही हिम्मत से सारी मुश्किलों का समाना कर सकती थी।
सु कियानक्सुन अचनाक से अकेले बिल्कुल नहीं रहना चाहती थी। उसे किसी का साथ चाहिए था !
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जब सु कियानक्सुन घर पहुंची , सुबह के एक बज चुके थे।
आंटी झांग ने स्वेटर डाला और लिविंग रूम में चली गई। उसने जब सु कियानक्सुन को देखा तब वो हैरान रह गई। उसके माथे पर घाव देख कर ,आंटी झांग ने तुरंत उसको खींचा और उसे सोफे पर बिठाया उसने चिंतित हो कर पूछा ," क्या हो रहा है ? तुम जख्मी कैसे हुई ?"
"शश , इसे नीचे रखो। जियो को मत उठाओ । इस पर एक नज़र डालो !"
सु कियानक्सुन ने अटैची जिसमे पैसे थे उसे कॉफ़ी के मेज़ पर रख कर खोला।
आंटी झांग हक्की बक्की रह गई। जब उसे सदमे से होश आया तो उसे सबसे पहले अपार्टमेंट के दरवाज़े को बंद किया। उसे डर था कि कोई अचनाक से अंदर आ कर उनसे सारे पैसे छीन लेगा।
"युवा मिस्ट्रेस , तुम्हे इतने सारे पैसे कैसे मिले ? क्या आप इस वजह से घायल हुई हो ? "आंटी झांग ने चिंतित होकर उसे देखा।
"यह केवल बाहरी चोट है। यह छोटी सी चोट है... मैं कल सुबह उस आदमी को पैसे देने जाऊँगी ," सु कियानक्सुन ने कहा।
"युवा मिस्ट्रेस , तुम बहुत कुछ सह चुकी हो .... "
आंटी झांग की आवाज़ धीरे धीरे रुं रुं करने लगी। उसका दिल सु कियानक्सुन के लिए दुखी था। वह जानती थी कि भले ही बड़े होते हुए , युवती को बहुत मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा, उसे पिछले दो सालों में बहुत तकलीफ हुई।
सु के परिवार के सदस्य बहुत ही नरम दिल के थे , लेकिन इतनी भयंकर चीज़े तुम्हारे साथ क्यों हुई ? स्वर्गीय मिस्टर सु बहुत ही दयालु और नरम सवभाव के थे। अगर वो दयालु नहीं होता तो उसने उन दोनों अनाथ सु मन्नी और सु किंगयुन को गोद नहीं लिया होता।
"बिल्कुल भी नहीं , मैं काफी खुश हूँ कि मैने जीए को बचाया था !" सु कियानक्सुन हँसी-खुशी मुस्करायी। हालांकि , उसने तब अपने सीने पर एक बोझ को महसूस किया, जब वो हस्पताल से बाहर निकली।
वह लॉन्ग सिजु के बारे में सोच रही थी और वह आदमी अब उसके बारे में भी कम सोच रहा होगा।
सु कियानक्सुन ने अपने होंठों को कस के बंद कर लिया। युवती को खुद भी इस बात का अहसास नहीं था कि वो आज कल लॉन्ग सिजु के बारे में इतनी चिंता करती थी। उदासी से , उसने आंटी झांग को थोड़ा आराम करने को कहा और अपने कमरे में वापिस चली गई।
युवती बिस्तर पर लेटी थी। उसके सीने में अभी भी दर्द था। जब उसे हलकी से नींद आई , बड़े से दो हाथों ने उसे पकड़ा। अगली बात वो जानती थी कि उसका उसका शरीर एक मजबूत, गर्म छाती के खिलाफ दबाया गया था ...
सु कियानक्सुन हैरान रह गई। उसने अपनी आंखे एकाएक खोली और मुड़ कर उन परिचित काली आँखों को देखा। वो लॉन्ग सिजु था।
कियानक्सुन ने हांफते हुए हैरान हो कर से पूछा, "तुम यहाँ क्यों हो?"