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Chapter 212 - मेरा छोटा सा जुनेर

अगले दिन , युवा महिला फिर से लॉन्ग सिजु की बाहों में सो कर उठी। सच कहा जाये तो , सु कियानक्सुन को उसके साथ सो कर उठने की आदत नहीं थी। उसने अकेले ही बिस्तर से जागने की आदत डाली ली थी। 

लॉन्ग सिजु ने उसे अपने सीने के करीब कस के जकड़ रखा था और वो उसके दिल की धकड़न को अच्छे से सुन सकती थी। युवा महिला का चेहरा धीरे धीरे लाल हो गया था। उसके दिल की गति में भी तेज़ी आ गई। 

वो दोनों आपस में कस के गले लगे हुए थे। यह तक कि उसके शरीर की गर्माहट ही एक समान हो गई थी। 

"क्या तुम जाग गई हो ?" उसके सर के ऊपर से आदमी की आकर्षक आवाज़ आई। वो वास्तव में अभी भी यही दिखाना चाहती थी कि वो सो रही थी ताकि वो उठे और पहले यहाँ से चला जाये। 

"मुझे अभी भी नीद आ रही है ," युवा महिला ने कमजोर और मधुर आवाज़ में जवाब दिया। 

सु कियानक्सुननहीं जानती थी कि आखिर हो क्या रहा था। उसने घबराते हुए अपने सर को उठाया और लॉन्ग सिजु को देखा। " मैने। ..क्या मैने तुम्हे चोट पहुंचाई ?" 

युवती ने ने आवेश में आ कर पूछा। उसके सुंदर चेहरे पर अभी भी एक हैरान और उलझन भरी नज़र थी।

यह सुन कर लॉन्ग सिजु की आवाज़ गंभीर हो गई। ' क्या इस पागल लड़की को नहीं पता कि वो मेरे साथ क्या कर रही है ?' वो खुद पर काबू नहीं रख सका। वो घूमा और उसने अपने नीचे दबा दिया। 

" वैसा ही करो जैसा मैं कहता हूँ हुए मुझे मेरे नाम से बुलाओ। अगर मुझे संतुष्टि हुई , तो मैं तुम्हे जाने दूंगा। .... वरना मुझे आज कोई काम नहीं है ," लॉन्ग सिजु ने कर्कश आवाज में उसके कान में फुसफुसाते हुए आदेश दिया।

' उसके पास आज कुछ और करने को नहीं है ?'

जब युवती ने सुना कि उसने क्या कहा , वो इतना डर गई कि उसकी टाँगे कांपने लगी। 

उसने तुरंत ही पुकारा ,अहह जूए। " 

"मम.... बढ़ते रहो , रुको नहीं.... " यह सुनने के बाद , लॉन्ग सिजु ने इतना उत्साहित हो गया कि उसने अपना आपा ही खो दिया। 

सु कियानक्सुन भी वास्तव में उसके लगातार छूने पागल सी हो गई थी। उसने अपने आंखो को बंद किया और "आह जूए ,आह जूए चिल्लाती रही। 

"जुनेर , मेरे छोटे से जुनेर ..."

जब फिर से सु कियानक्सुन जागी , तो दोपहर हो चुकी थी। उसे बहुत ताज़ा और साफ़ महसूस हुआ। लॉन्ग सिजु ने उसे नहलाया होगा , लेकिन वो कमरे से पहले ही चला गया था। 

बड़े उदास मन से युवती अपने पेट के बल लेट गई। उसने कहा था कि वो मुझे थोड़े समय के लिए छोड़ देगा अगर मैं उसे उसके नाम से बुलाती हूँ और यह उसको संतुष्टि देने के लिए काफी है। जैसे की उम्मीद थी , उसने मुझसे फिर से झूट बोला था !'

…..

जब तक सु कियानक्सुन अपने बिस्तर से उठी , शाम हो चुकी थी। जब वो रात का खाना खा रही थी , उसके सामने खाना खाने वाले मेज़ पर अख़बार पड़ा था। उसने उस अख़बार में मुख्य पंक्तिया पढ़ी जबकि उसने चाहा था कि शायद उसने वो ना पढ़ा होता। 

मुख्य समाचार लॉन्ग सिजु और लैन किंगचेंग के आने वाली सगाई के बारे में था। समाचार का लेख पहले पूरे पन्ने पर था। युवती की उँगलियाँ कांपने लगी। उसने अपने सर को नीचे किया और खाना खाना शुरू किया , लेकिन तब तक उसकी सारी भूख ख़त्म हो गई थी। 

जब सु कियानक्सुन जिन गार्डन से गई , उसने तय किया कि जिस दिन लॉन्ग सिजु और लैन किंगचेंग की सगाई होगी ,वह उसके साथ अपना रिश्ते को खत्म करने के लिए हर तरह की कोशिश करेगी!

सु कियानक्सुन का फ़ोन बजा और उसने फ़ोन उठाया। " हेलो मियां मियाँ। " 

" कियानक्सुन ,क्या तुमने मिस्टर तांग से मेरे यूनिवर्सिटी में दाखिले के बारे में पूछा ?" 

गु मियां को यूनिवर्सिटी से एक प्रस्ताव पत्र मिला था। वो सु कियानक्सुन की यूनिवर्सिटी और उसके जैसे कार्यक्रम-संबंधी था . 

"जी हाँ। तांग जुई ने पहले काम को कर दिया था ? उह्ह... लेकिन मैं तुमसे तुम्हरी राय लेना भुल गई थी। क्या तुम्हारे लिए कक्षा में भाग लेना संभव है ? तुम्हारे पति को इस व्यवस्था से कोई आपत्ति तो नहीं होगी ?" 

उस दिन ,जब सु कियानक्सुन तांग जुई से एक अनुमति की थी , वह यह था जिसका उसने अनुरोध किया था। गु मियां के लिए विदेश में पढ़ने जाना नामुमकिन था और या तो वो सारा दिन घर पर रह सकती थी या वो भी यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सकती थी। हालांकि सु कियानक्सुन ने तांग जुई को इतना काबिल होने की उम्मीद नहीं की थी। 

"नहीं , मैं बिल्कुल भी घर पर नहीं रहना चाहती हूँ। यह बहुत अच्छा होगा अगर मैं भी तुम्हारी वाली यूनिवर्सिटी में दाखिला ले सकू !मैं कभी भी विदेश नहीं जाना चाहती थी। मैं केवल तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ ,लेकिन मेरा परिवार मुझे विदेश जाने के लिए जोर दे रहा है। मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या हुआ है। गु मियां को इस बारे में बात करके निराशा महसूस हुई 

"उह .. तुम्हारा परिवार यकीनन तुम्हारा अच्छा ही चाहते है विदेश में पढ़ाई करना अच्छा है ," सु कियानक्सुन हकलाने लगी। वो वर्षों पहले हुई कार दुर्घटना के बारे में सोचना भी नहीं चाहती थी।

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