Chapter 146 - तुम कौन हो?

" क्या तुम मरने वाले हो ? तांग जुई अचानक से खड़ा हुआ और उस महिला के चेहरे पर थप्पड़ मारा , जो उसको मारना चाहती थी। थप्पड़ इतनी रफ़्तार से मारा था कि गु मियां को पलंग से गिरने के लिए मजबूर कर दिया। तांग जुई ने अपना हाथ उठाया और दीवार पर खंजर फेंक दिया।।*हुश !* खंजर दीवार पर अंदर तक घुस गया था !

गु मियां एकाएक बैठ गयी । वह उस आदमी से लड़ना जारी रखना चाहती थी जिसने उसकी पवित्रता पर कलंक लगाया था। तांग जुई ने अपने बड़े हाथ जो पहले ब्लेड कट गया था से , उसकी छोटी सी गर्दन को पकड़ा। 

" घटिया इंसान..... मैं तुम्हे मार दूंगी !" गु मियां की आंखें खून से लथपथ थीं, और उसके लंबे बाल उसके शरीर पर पूरी तरह से उलझ गए थे।उसकी त्वचा चोटों में ढँकी हुई थी। उसका शरीर घावों से भरा था क्योकि उसने तांग जुई के साथ पिछली रात को आवेश से संभोग जोकिया था। " 

" हे..... तुम ही थी जिसने एक बद्तमीज़ औरत की की तरह व्यवहार किया अब तुम पवित्र और मासूम बनने की कोशिश कर रही हो ? मैं अपने परिवार का अपमान करूंगा अगर मैं तुम जैसी वैश्य के साथ नहीं सोता !" तांग जुई सच में बहुत गुस्से में था. ' सु कियानक्सुन ही थी जो पिछले रात को मेरे कमरे में आई थी और अब वो मेरे सामने एक पीड़ित की तरह व्यवहार कर रही है ?!

मैं उसे दिखने जा रहा हु कि वो कितनी बदचलन दिखती है ?!

तांग जुई ने मियां को बेतुके तौर से बांध दिया। मियां चिल्लाने वाली थी , तांग जुई ने केवल अपने बॉक्सर निका ले और उसके मुँह में घुसेड़ा। थोड़ी देर में , कितना उत्तेजित हो कर तांग जुई उसके साथ हमबिस्तर हो रहा था , गु मियां बेहोश हो गयी । 

…..

ये गु ने सु कियानक्सुन को फ़ोन करके बताया कि कोई उसके कमरे में ब्रेकफास्ट देने के लिए आएगा। 

सु कियानक्सुन के हाथ मुँह धोने के बाद , उसने दरवाज़े पर किसी की दस्तक सुनी। 

उसने सोचा कि यह नाश्ता देने वाला व्यक्ति था, और वह दरवाजा खोलने के लिए चली गई।

हालाँकि, एक अपरिचित आदमी बाहर खड़ा था। और जो उसने पहना था उससे, सु किआनक्सुन बता सकती थी कि वह एक साधारण प्रतिष्ठा का नहीं था।

सु कियानक्सुन उससे पूछने ही वाली थी कि वो आदमी किस की तलाश कर रहा था, जब उसने अचानक दरवाजा खोला।युवती इतनी सदमे में थी कि उसने तुरंत दरवाजा बंद करने की कोशिश की। मगर बहुत देर हो चुकी थी। आदमी ने उसे फर्श पर धक्का दे दिया, कमरे में प्रवेश किया और दरवाजा बंद कर दिया।

सु कियानक्सुन को खतरे का अहसास हुआ। उसने उठ कर अपने फ़ोन को लेकर किसी से मदद मांगना चाहती थी। लेकिन जैस ही वो खड़ी हुई , घुसपैठिया ने उस पर आक्रमण किया और ज़मीं पर उसको अपने नीचे दबा दिया। 

" मदद करो ! मुझे जाने दो ! तुम कौन हो ?"सु कियानक्सुनने जबरदस्ती उसको धक्का मारा , लेकिन वो इस आक्रमण के लिए पहले से ही तैयार था। उसने आसानी से फर्श पर लेटा कर उसे अपने पैर से दबाया ।

"मैं तुम्हे ना चिल्लाने की सलाह दूंगा। सर जूए ने तुम्हें मुझे तोहफे में दिया है !"

सु कियानक्सुन को लगा जैसे वह बिजली की चपेट में आ गई हो। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि लॉन्ग सिजु ने वास्तव में उसे किसी अन्य व्यक्ति को उपहार में दे दिया था।

" उसके यह करने का कोई हक नहीं है !मैं उसकी नहीं हूँ ! मुझे जाने दो !" शर्मिंदा और गुस्से से भरी सु कियानक्सुन ने पागलों की तरह ऊपर से धक्का देने की कोशिश की। 

" इसका मेरे से कोई लेना देना नहीं है। सर जूए ने बताया था कि आज के लिए तुम मेरी हो और मुझे तुम्हारे साथ जो भी करना है, मैं कर सकता हूँ! "

उस आदमी ने एक राक्षसी मुस्कराहट दी और सु कियानक्सुन के पजामा को जोर से फाड़ दिया। कपड़ा के नीचे से उसकी बर्फ जैसी सफ़ेद त्वचा बाहर आ गई। उस आदमी ने अपना सर को नीचे किया और उसकी त्वचा के भाग को चूमना शुरू कर दिया। 

जैसे उस आदमी ने उसे चूमा , सु कियानक्सुन को लगा जैसे एक विषैला सांप उसके शरीर पर रेंगते हुए हर जगह घृणित और चिपचिपा तरल छोड़ रहा था।

वो मुड़ी और उसने उस आदमी के बड़े हाथ पर जोर से काटा । वो आदमी दर्द में चिल्लाया। सु कियानक्सुन ने इतना जोर लगा कर काटा कि यह ऐसा था जैसे वो चाहती थी कि वो उस आदमी के मांस के हिस्से को काट ले। 

वह आदमी दर्द में चीखता रहा, जब उसने सु क़ियानक्सुन के चेहरे पर ज़ोर से थप्पड़ मारा, और उसे छोड़ने के लिए मजबूर करने की कोशिश की।सु कियानक्सुन जानती थी कि अगर वो उस आदमी को जाने देगी तो वो उसे छोड़ेगा नहीं और उसने अपने दांतो से उसके मांस को जोर से कांटा। 

" वैश्या !उस आदमी ने अचानक से सु कियानक्सुन की गर्दन को जोर से जकड़ा। युवा महिला के पास मुँह पहले कोई चारा नहीं था और आदमी को छोड़ दे क्योकि उसको साँस लेने में तकलीफ हो रही थी। 

उस आदमी को इतना गुस्सा आया कि उसने सु कियानक्सुन के चेहरे पर जोर से थप्पड़ मारा। सु कियानक्सुन थप्पड़ से चक्कर महसूस हुए और उसके अंदर थोड़ी सी भी ताक़त नहीं बची थी। 

अपने कपड़े उतारते ही उस आदमी ने शाप दिया।" मैं सर जूए की वजह से तुम्हारे ओर थोड़ा विनम्र होना चाहता था , लेकिन अब मुझे यह महसूस हो रहा है तुम सब औरते वैश्या हो !तुम हिंसा का उपयोग करना चाहती हो , ठीक है। मैं तुम्हरी इच्छा को स्वीकार करता हूँ !"

सु कियानक्सुन ने अपने छोटे से हाथो से अपनी छोटी से गर्दन को पकड़ा और बिना रुके खांसती रही। जब उसने समाने खड़े भेड़िये जैसे आदमी को घुरा तो आँसू उसकी आँखों से अपने आप बहने लगे। 

जब उस आदमी ने अपने कपडे उतारे , उसने सु कियानक्सुन को अपने शरीर के नीचे दबाया। उसने याद किया जिस आदमी ने उसे काम पर रखा था ,उसे क्या करने के लिए कहा था ; उसने ना तो केवल उसको परेशान करना है लेकिन उसको बदसूरत भी बनाना है !

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