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Chapter 165 - टैंग मोर, जलन इस तरह से काम नहीं करती। अपने आप को भी देखो, झगड़ालू

"देखो, उसकी कमीज विशेष तौर पर बनवाई गयी है और उसकी कलाई पर लगी घड़ी शायद दसियों हज़ार की है। वह स्पष्ट रूप से बेहद अमीर है। हे भगवान, मैं बस उसके पास जाना चाहती हूँ और उसके साथ सेक्स करना चाहती हूँ।"

"मैं भी। मैं उसके साथ सोने के लिए तैयार हूँ भले ही वह मुझे बदले में कुछ भी न दें।"

टैंग मोर को यह सब मजाक लग रहा था । क्या ये महिलाएं गंभीर थीं? कौन था वह शख्स जिसने उन्हें इतना मोह लिया था?

ट्रॉली को धक्का देते हुए उसने उनकी नज़रो की दिशा में देखा कि वह कौन था। वह श्रीमान गू थे।

श्रीमान गू परिवार नियोजन आपूर्ति अनुभाग में सीधे खड़े हुए थे। वह अपनी हथेलियों में दो डिब्बियाँ उठाए हुए था और डिब्बियों पर नज़र गड़ाए हुए था। उसके सुंदर चेहरे पर शालीनता और लापरवाही थी । वह जहाँ भी जाता था लोगों की तवज्जो का केंद्र बन जाता था।

वह जिस व्यक्ति की तलाश कर रही थी। वह वास्तव में कंडोम खरीदने के लिए वहाँ आया था और यहां तक ​​कि महिलाएं भी उसे इतने कामुक तरीके से देखती थीं। उसको ध्यान आकर्षित करते हुए देख कर टैंग मोर ने अचानक बुरा महसूस किया।

"उसकी पतलून और उस उभार को देखो । वह बहुत बड़ा होना चाहिए ..." महिलाओं ने पहले से ही उसके क्रॉच वाले हिस्से की ओर अपनी नज़रें घूमा ली थीं।

"माफ करें। क्या कृपया आप रास्ता दे सकती हैं और रास्ता मत रोकें।" महिलाओं को पीछा हटाने की कोशिश करते हुए टैंग मोर ट्रॉली को धक्का देते हुए आगे बढ़ गयी।

"यह छोटी लड़की कहाँ से आई? क्या तुम्हें दिखाई भी देता है?"

टैंग मोर ने उनकी बातें ना सुनने का नाटक करते हुए गू मोहन के पास चली गई और अपने गाल फुलाते हुए उससे पूछा, "क्या कर रहे हो?"

गू मोहन ने ऊपर गर्दन उठाई और गुस्से से चमकती एक जोड़ी आँखो को देखा। एक प्यारे से फूले मुँह ने उसकी सुन्दरता को बढ़ा दिया था।

उनके मोहक होंठों ने एक घुमावदार आकार बनाया। उसकी लंबी, शक्तिशाली भुजाएँ फैल गई और उसकी कमर झुक गई, "क्या गड़बड़ है? किसने तुम्हें गुस्सा दिलाया ?"

"तुमने!" टैंग मोर ने उसकी कमर को हटाते हुए उसकी बाँहों को दूर धकेल दिया।

गू मोहन की गहरी और सिकुड़ी हुई नज़रें उसके पीछे खड़ी कुछ महिलाओं पर पड़ी।

उस आदमी की निगाहें उनकी ओर खिसकती देखकर उनकी आँखें चमक उठीं। उन्होंने अपने वक्ष बाहर निकाले और गू मोहन की तरफ मोहक तरीके से नज़रों से नज़रें मिलाई और इशारा करते हुए अपनी पलकों को फड़फड़ाया।

उन्हें लगा कि उनका मौका आ गया है।

पर गू मोहन के उन्हें तेज और रूखेपन से देखने के कारण वे अगले ही पल थर-थर कांप गईं ।

गू मोहन को आखिरकार समझ में आ गया था कि क्या हुआ था। बिना किसी चेतावनी के उसने तख्ते से मोर के नाजुक शरीर को सटा दिया और उसके चेहरे को धीरे से सहलाया, "यह स्पष्ट करो। कि किस तरह से मैंने तुम्हें गुस्सा दिलाया?"

टैंग मोर ने अपनी नरम आवाज में शिकायत की और कहा, "श्रीमान गू, तुम यहाँ कंडोम की एक डिब्बियाँ लेकर खड़े हो और एक तमाशा बना रहे हो। क्या तुम सभी को आकर्षित करने और उन्हें जाल में फँसाने की कोशिश कर रहे हो? वहाँ पर जो महिलाएं हैं, वे तुम्हारे क्रॉच को घूर रही हैं। । "

गू मोहन ने अपनी पतली उंगलियों को फैलाया और उसके नाजुक चेहरे पर चुटकी काटी। अपनी गहरी आवाज़ से सख्त लहज़े में उसने कहा , "मेरे जीवन में, मैंने कभी भी किसी को आकर्षित करने के लिए कंडोम की एक डिब्बे का उपयोग करने जितना नीच काम नहीं किया है और दूसरी तरफ अगर अन्य महिलाएं मेरे क्रॉच को देखना चाहे तो मैं किसी रोक नहीं सकता । "

टैंग मोर अभी भी असंतुष्ट महसूस कर रही थी। उसने अपनी मुट्ठी बंद की और उसकी मर्दाना सीने पर उनसे वार किया, "आग बिना किसी धुएँ के नहीं होती। किसने तुम्हें इस तरह से दिखावा करने के लिए कहा है!"

गू मोहन ने अपनी लंबी उंगलियों का उपयोग करते हुए उसकी कलाई को उसके माथे के पास टिका दिया। उसका लंबा और सीधा शरीर उसकी ओर झुक गया और उसके नाजुक छोटे शरीर से सट गया । नीचे झुकते हुए उसने अपने पतले और नरम होंठों को उसके लाल होंठों पर दबाया। उनकी आवाज़ उनके होंठों के बीच जबरन डूब गई।

"दिखावेबाज़! मैं उतना नहीं दिखाता जितना तुम दिखाती हो। जब दूसरे पुरुष तुम पर अपनी नज़रें टिकाते है तो मैं कुछ नहीं कहता। लेकिन सिर्फ इसलिए कि अन्य महिलाओं की नजरें मुझ पर थी तो यह किसी तरह से मेरी गलती बन गयी।" टैंग मोर भले ही तुम ईर्ष्या करना चाहती हो। पर ईर्ष्या की जलन इस तरह से काम नहीं करती है। अपने आप को भी देखो तुम तो छोटी झगड़ालू हो।"

छोटी झगड़ालू?!

टैंग मोर आंतरिक रूप से इतना भड़क गयी थी कि उसकी उंगलियां भी कांपने लगी थीं। वह क्या कह रहा था? उसने मुझे छोटी झगडालू कहने की हिम्मत की?

वह कारघालिक की महानतम सुंदरी थी! हर किसी की नज़र में वह पवित्रता और आकर्षण का सही संयोजन थी। सभी पुरुष उससे प्यार करते थे!

ऐसा कोई तरीका नहीं था जिस वजह से वह किसी के द्वारा भी उसे 'छोटी झगड़ालू' कहे जाने को बर्दाश्त करें!

"वह तुम हो जो झगड़ालू है। तुम्हारा पूरा परिवार ही झगड़ालू हैं ... ओह!" गू मोहन ने तुरंत उसे चुप करा दिया।

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