Chereads / द किंग'स अवतार / Chapter 8 - जीवन और मौत के बीच संघर्ष

Chapter 8 - जीवन और मौत के बीच संघर्ष

राक्षसी बागड़ बिल्ले ने अचानक झूलते हुए सुषुप्त शेखर को पकड़ा। उसने पास ही खड़े पार्टी के सदस्य फालेन सुन पर भी पंजा मारा।

"आह!, मुझे माफ कर देना" फालेन सुन ने खुद से कहा। वह कैसे इतने इतनी तेज हमले से बच सकता था? तभी सुषुप्त शेखर ने धीरे से माफी मांगी। ऐसा इसलिए क्योंकि सुषुप्त शेखर ने इन तीनों नए आए खिलाड़ियों को रास्ते भर यही सिखाया था। उसने जरूर ही यह बताया था की "अन्य टैंक फटने का अंदेशा हो सकता है पर गलती मुख्य टैंक की नहीं मानी जाएगी" 

"ठहरो! हमला मत करो" सुषुप्त शेखर ने फालेन सुन को लगातार हमला करने से रोका। वह तेजी से उसके पास गया। कौन जाने फालेन सुन पर पंजा मारने के बाद बागड़ बिल्ला कब किसी दूसरे सदस्य पर हमला कर बैठे। 

"धत, लगातार फटने वाले टैंक, तुम मजाक कर रहे हो?" सुषुप्त शेखर ने गुस्से में दहाड़ा। पार्टी के सदस्य जिस पर अभी हमला हुआ था वह सोच में पड़ा, वहीं खड़ा रह गया। वह भी एक मायावी था जो कपड़ों की ढाल में खड़ा था। बागड़ बिल्ले द्वारा निडरता से पंजा मारा जाना, एक हादसे की तरह था। उसका जीवन खत्म होने को था पर ये क्सिऊ ने तेजी से भी तेज प्रतिक्रिया दिखाई। उसने तुरंत ही विकट देव को आरोग्यमम का इस्तेमाल करने का आदेश दिया। पर कुछ चीजें केवल कुशलता के भरोसे ठीक नहीं की जा सकती। एक कपड़े की ढाल पहना मायावी रोक रहा था एक निडर छिपे हुए सरगना के हमले को? वो कितनी देर जीवित रहता?

जवाब तुरंत आया 7 सेकंड। विकट देव का आरोग्यम अभी भी ठंडा हो रहा था और बागड़ बिल्ले ने उसे बड़े आराम से दो हिस्सों में फाड़ दिया। सुषुप्त शेखर उसे बचाने को लपका पर वह इतनी तेज से वहाँ पहुंच नहीं पाया और मायावी मर गया। 

ग्लोरी में जब कोई खिलाड़ी कोठरी में मर जाता था तो उसे कोठरी छोड़ देनी होती थी और वह उस में वापसी के लिए वह कभी योग्य नहीं हो पाता था। अन्य शब्दों में कहें तो 5 लोगों की पार्टी अब चार लोगों की ही रह गई थी। 

"धत फटने वाले टैंकों की श्रृंखला। तुम लोग मुझे परेशान कर रहे हो" सुषुप्त शेखर पूरी तरह से टूट चुका था। जैसे ही मायावी मरा बागड़ बिल्ले ने उसकी तरफ ना बढ़कर पार्टी के तीसरे सदस्य पर तेज पंजा मारा। तीसरा सदस्य भी कपड़ों की ढाल में मायावी था पर इस बार ये क्सिऊ ने विकेट देव को आरोग्यम करने का आदेश नहीं दिया बल्कि फालेन सुन को आरोग्यम करने को कहा। 

आरोग्यम मौत से केवल 7 सेकंड के लिए बचा सकता था पर यह 7 सेकंड बहुत ही कठिन थे फालेन सुन के लिए। ऐसा इसलिए था क्योंकि हमले की रफ्तार के अलावा और बढ़ते नुकसान के कारण बागड़ बिल्ले की क्षमता में एक और खासियत बढ़ गई थी खून बहने की। 

बागड़ बिल्ला दुर्भाग्य से फालेन सुन का खून बहाने पर मजबूर कर दे रहा था। ये क्सिऊ ने उसके गिरते हुए जीवन रेखा को ध्यान से देखा। यदि वह उस मायावी को आरोग्यम कर भी दे तो भी वह केवल 7 सेकंड के लिए ही होगा। इन 7 सेकंड में ना केवल मायावी मरेगा पर फालेन सुन भी मर जाएगा। इसलिए वह दोनों में से एक को बचाने की कोशिश करेगा।

ये क्सिऊ ने सुषुप्त शेखर से सारी उम्मीदें छोड़ दी थी और मायावी को सीधे छोड़कर फालेन सुन को बचाने निकल पड़ा था। अचानक से यह देख कर सुषुप्त शेखर को बहुत गुस्सा आया और वह चिल्लाया "तुम उसे क्यों ठीक कर रहे हो?"

ये क्सिऊ ने उत्तर नहीं दिया। बिना किसी मदद के मायावी तुरंत ही गिर पड़ा। सुषुप्त शेखर गुस्से में उसे श्राप दे रहा था उसी समय बागड़ बिल्ले ने फालेन सुन पर बिना किसी झिझक के झपटा मारा

फालेन सुन ने डरे हुए ही धीरे से कहा "हमला?"

"मारो उसे चू…" सुषुप्त शेखर ने शिकायत की बिना जाने क्यों. उसने कसम खाई कि वह बागड़ बिल्ली का पीछा करेगा और उसे काबू करेगा। 

13 सेकंड 

ये क्सिऊ ने समय गणना की। वह नहीं बता सकता था की फालेन सुन की किस्मत खराब है या नहीं। जैसे ही खून बहने का चरण कम हुआ बागड़ बिल्ले ने फिर से झपटा मारा जिससे उसका खून फिर बहने लगा। इस तरह के चरणों पर असर करने वाले हमले, के दिखने की उम्मीद कम होती है। पर ऐसा लग रहा था की फालेन सुन के इर्द-गिर्द किसी ने 100% सम्भावना बिठा दी हो। शापित, खून बहता हुआ, बागड़ बिल्ला इस स्थिति में उसे वश में रखने के लिए जो कुछ कर सकता था, कर रहा था। 13 सेकंड, यह समय था, जितनी देर ये क्सिऊ फालेन सुन को जिंदा रख सकता था। इस समय सुषुप्त शेखर वहाँ पहुंचकर उसे बचा सकता था पर सुषुप्त शेखर क्या कर रहा है? 

वह तीव्र सुषुप्त शेखर जिसने युद्ध की शुरुआत की थी अब ऐसे लड़ रहा था मानो उसके हाथ फिसल रहे हो। वह वार पर वार कर रहा था, पर उसकी तलवार से कुछ भी नहीं टकरा रहा था। श्राप देने और चिल्लाने के बीच फालेन सुन आखिरकार धराशाई हो गया।

बागड़ बिल्ला ने आखिरकार सुषुप्त शेखर पर हमला कर दिया। विकट देव सबसे कम खतरनाक महसूस हो रहा था क्योंकि ये क्सिऊ की कुशलता काफी अच्छी थी। उसने किसी भी तरह के गैर जरूरी हरकत नहीं की, वह केवल एक छोटे से घेरे में रहा।

"भाई तुम अपनी जगह पर खड़े रहो! क्या अभी भी तुम्हारे पास माना है?" सुषुप्त शेखर ने उसे हिम्मत देने की कोशिश की और उसका स्वागत किया। 

"अपनी जगह पर तुम्हे खड़े रहने की जरूरत है" ये क्सिऊ ने लिखा।

"चिंता मत करो। हम दोनों की कुशलता काफी मिलती है। इसे हराना कोई बहुत दिक्कत की बात नहीं होगी" सुषुप्त शेखर ने बहादुरी पूर्ण ढंग से कहा। अंत में उसके हाथ फिर से फिसल गए और तलवार हवा में टकराई। बागड़ बिल्ले के पंजे उसके चेहरे पर लगे। 

"जोड़ो जोड़ो, जोड़ो, जोड़ो, जोड़ो" सुषुप्त शेखर ने जंगली पूर्ण ढंग से गुर्राया।

कोई जवाब नहीं। विकट देव आरोग्यम का इस्तेमाल कर रहा था और इस पूरे समय कर रहा था। पर इस समय उसने आरोग्यम का इस्तेमाल खुद पर नहीं किया। 

"मैं और जोड़ नहीं पा रहा, यह फट जाएगा" सुषुप्त शेखर ने देखा विकट देव ने क्या लिखा था। 

"तुम..." सुषुप्त शेखर ने अचानक अपना सर पलटा और देखा विकट देव आराम से एक बड़े पेड़ के नीचे बैठा है और नीरसता भरी नजरो से देख रहा है। सुषुप्त शेखर ने हालात का अंदाजा लिया, यह बहुत बढ़िया नहीं है। विकट देव कोई नौसिखिया नहीं है। टैंक फटने के लिए अभी बहुत जल्दी है। उसने ऐसी गलती कैसे कर दी? 

"यह इतनी जल्दी नहीं फटेगा। जल्दी करो और जोड़ो" सुषुप्त शेखर केवल यह चिल्ला सकता था पर फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। 

बागड़ बिल्ला अब उसके नजदीक पहुंच चुका था। सुषुप्त शेखर की प्रतिक्रिया अचानक तेज हुई। उसने आड़े से तलवार लहराई और उसके पंजे को रोका। वह तुरंत ही उछला और कुशलता पूर्वक हमला करने लगा जैसे वह युद्ध में प्रवेश करते समय कर रहा था। सुषुप्त शेखर ने अचानक याद करना छोड़ दिया। 

पर इस समय उसका वार इतना कातिलाना नहीं था क्योंकि बागड़ बिल्ला इस समय निडर था। सुषुप्त शेखर की गतिविधियां, बढ़ते हुए हमले की रफ्तार और नुकसान से ताल-मेल नहीं बिठा पा रही थी। कूदने के बाद, उसका हमला फिर से बेकार हो गया और बागड़ बिल्ले ने हलका सा काट लिया। 

"जल्दी करो और जोड़ो" सुषुप्त शेखर अब परेशान था। हालांकि वह कपड़े की ढाल पहने मायावी और फालेन सुन से बेहतर था पर बागड़ बिल्ले की कोई तुलना नहीं थी। 

"क्या जोड़ना है?" 

"जीवन रेखा जोड़नी है"

"जीवन रेखा जोड़ना क्या होता है? मैं केवल तुम्हारा खून बहता देख रहा हूँ"

"तुम..." सुषुप्त शेखर गुस्से से आगबबूला हो चुका था।

"कितनी दया का विषय है? तुम केवल छुपे हुए सरगना से ही लड़ पाते, तब तुम पार्टी में अपने आदेश और नेताओं को आपस में बदल सकते। इस तरह से तुम, दल के सदस्यों को अपनी कुर्सी ना छोड़नी पड़ती और तुमने छिपे हुए सरगना को भी पकड़ लिया होता" 

"कितने दुख की बात है तुम्हारी कुशलता किसी लायक नहीं। इसलिए तुम्हें औरों पर निर्भर रहना पड़ता है सरगना को मारने के लिए। तुम जानबूझ कर सब खुद संभल रहे थे और फिर सरगना को सही समय पर फटने दिया। दल के और सदस्य तुम्हें छोड़कर साफ हो गए होते। साथ ही सरगना भी अकेला और कमजोर रह जाता। यह सब सामान जरुर ही तुम्हारा होता। तुमने कालकोठरी वाला दर्जा पार किया या नहीं, यह इतना जरूरी नहीं था जितना छिपे हुए सरगना को मारना था। 

जैसे ही विकट देव ने यह दो संदेश भेजें सुषुप्त शेखर के माथे से पसीना छूट गया। उसने सोचा नहीं था कि यह आदमी जिसने पूरे रस्ते सिर्फ एक वाक्य कहा है उसने पूरा घटनाक्रम पहले ही देख लिया था। सही बात है उसने बागड़ बिल्ले को बाकि तीन लोगों पर फटने की लिए छोड़ा था, ताकि वह सब को मार सके। उसका असली मकसद यह था कि जब तक ये क्सिऊ आरोग्यम कला से बाकी सब को ठीक करेगा, तब तक वह सरगना को अपने ऊपर आने देगा। पर उसने यह नहीं सोचा था की विकट देव अचानक ही अरोग्यम करना छोड़ देगा। क्या ऐसा हो सकता है कि यह आदमी अपने बनाई योजना के हिसाब से उस समय काम कर रहा हो? वह आदमी जो जानता था कि वह किसी और को नहीं बचा सकता इसलिए उसने हर चीज अपने वश में रखी ताकि सब उस पर न टूट पड़े। क्या ऐसा हो सकता था कि वह उसे न ठीक करें और उसे बागड़ बिल्ले के पंजों के नीचे मरने के लिए छोड़ दे? 

"भाई..." सुषुप्त शेखर ने देखा यह आदमी कोई मायावी फसल नहीं है और तुरंत ही उसे समझाने लगा। "अब तक के लिए इस बात पर बहस नहीं करते हैं। ऐसा नहीं है कि तुम उन तीनों खिलाड़ियों को नहीं जानते थे। आओ दल बनाए और बिल्ले को हराएं। हम दोनों के पास मौका है सभी सामान को आधा-आधा बांटने का, क्या यह सही नहीं है? 

"आधा-आधा मुझे तो पूरा पसंद है" 

"ठीक है..." सुषुप्त शेखर ने अपने दांत पीसते हुए कहा, "हमेशा सामान ही नहीं होता, जो गिराया जाता है। जब समय आएगा तो तुम पहले उठाना और मैं उसे तुम्हारे लिए छोड़ता हूँ। बाकी सब के लिए हम पासे फेंकेंगे। मैं तुम्हें सभी इक्विपमेंट भी दे दूंगा" सुषुप्त शेखर जानता था कि बिना आरोग्यम की मदद के वह सरगना को नहीं हरा सकता। वह केवल इतना कह सका। 

"ये, इस पर कौन विश्वास करेगा!" 

"तो अब तुम्हारा प्रस्ताव क्या है?" सुषुप्त शेखर ने तुरंत पूछा। उसकी जीवन रेखा आधी हो चुकी थी। जब से वह निडर हो चला था, सुषुप्त शेखर बागड़ बिल्ले से नहीं टकरा सकता था। ये क्सिऊ से मोलभाव करना और कठिन होता जा रहा था। उसने पहले ही विकट देव का नाम लिख रखा था और उसने कसम खाई थी कि वह इस आदमी को एक दिन जरूर अपमानित करेगा। 

"मैं क्या सोच रहा हूँ, इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। आराम से रहो और मरे जैसे पड़े रहो" 

"तुम.... तुम पागल हो। अगर मैं मर जाऊंगा तो क्या तुम भी नहीं मर जाओगे? तो फिर कोई भी यह सब सामान ले जाने लायक नहीं रहेगा" अब उसकी जीवन रेखा में सिर्फ एक चौथाई जान बाकी थी।

"दोस्त, जीवन और मौत के संघर्ष में हँसने की कोई जरूरत नहीं है" सिर्फ 20 परसेंट जीवन रेखा उपलब्ध रह गई थी 

"तुम बेवकूफ हो", 1 बटा 7 जीवन रेखा शेष 

"विकट देव तुम पागल तो नहीं हो गए हो? तुम जानते हो पूर्ण चंद्रमा को मेरी ताकत क्या होती है?" 1 बटा 9 

"तुम खत्म हो चुके हो" बस 1 पॉइंट शेष 

"धत तेरी की..." बागड़ बिल्ले का एक पंजा और दुनिया शांत हो गई। 

विकट देव अब तक अपनी जगह से हिला तक नहीं था। पर वह भागा भी नहीं था। सुषुप्त शेखर के साथ अपने मुद्दे सुलझाने के बाद वह तुरंत उछला। 

ये क्सिऊ धीरे से हंसा। उसका बायां हाथ कीबोर्ड पर कुछ बटन दबा रहे थे और उसके दाहिने हाथ माउस को घुमा रहा था। विकट देव ने अपना बहुरंगी छाता उठाया और उसे खोला। इससे भी ज्यादा उसने उसे बड़े ही फिल्मी ढंग से खोला और छाता सही में पलट गया। उसका छाता हल्का सा पीछे हुआ और अब वह बहुरंगी छाता एक भाले की तरह लग रहा था। 

भाले की तरह छाता अब तक बागड़ बिल्ले की ओर चल चुका था। 

मायावी योद्धा कौशल: नाग दंत

Latest chapters

Related Books

Popular novel hashtag