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Chapter 2 - चलो शुरू से शुरू करते हैं

तो कभी जो हमारे फ़ोन के पासवर्ड थे, आज उनकी फोटो हम अपने फ़ोन के recycle bin में भी नही रखना चाहते थे। कभी जिनका कॉलेज आना हमारे सबसे ज़्यादा attendence percentage होने का कारण था, आज उन्ही का कॉलेज आना हमारे सबसे कम attendence percentage होने का कारण बन रहा था। कभी जिनसे आँखें मिलाए बिना दिन नही गुज़रता था, आज उनसे आँखें मिल जाए तो उस दिन को कोस दिया जाता था। कुछ लोग कहते हैं कि इंसान किसी को मोहोब्बत करने के लिए चाहे कितने ही दिन लगा दे, पर किसी से नफरत करने के लिए कुछ seconds ही काफी होते हैं, सही कहते है। और ये नफरत जायज़ भी थी, और ये उन्हें भी पता था।

लेकिन ये बात झुठलाई नही जा सकती कि इस नफरत ने हमारा नज़रिया बदल दिया था। कुछ दिनों तक तो काफी रोये थे, पर धीरे धीरे हमने दिल को ये समझा दिया कि वो गलत थी, और उसे ये बताना जरूरी था की भगवान ने किसी को ये हक़ नही दिया कि अपने मज़े के लिए किसी के दिल के साथ खेले। हाँ, पर ऐसा नही की प्यार से भरोसा उठ गया था मेरा, आज भी हम प्यार के उतने ही तरफदार है जितने पहले थे, बस प्यार में कि गयी गलतियों से सीख रहे है।

गर्मी की छुट्टियों के बाद से मेरे classes शाम के time से चलने लगे, यानी 2:30 से 5:30 तक। room पर आते आते 6:00 बज जाते थे। शाम के वक़्त रांची अपने कई अलग रंग दिखता है। दिन के वक़्त जो सड़क धूप से चमकती थी, शाम के वक़्त उन सड़को के किनारे खूबसूरत lights दिखाई देती हैं, पूरा रास्ता अलग अलग लोगों से भरा, कुछ momo खाने आये है तो कुछ shopping करने। जो हवा दिन में गर्मी लिए काटने को दौड़ती थी, शाम होते होते उनमे एक मीठी सी ठंडक घुल जाती है। हम भी जब से उस झूठ से बाहर निकले हमे भी इन सारी चीजों का मज़ा लेना आने लगा। अक्सर दोस्तों के साथ शाम को गेड़ी मारने निकल पड़ते थे। कभी किसी mall में घुस गए तो कभी किसी टपरी पे चाय पी ली।

तो ऐसी ही एक शाम मैं अकेला घूम रहा था, सोचा चाय पिलूँ तो वही अपनी पुरानी जगह पर चाय पीने चला गया। अभी कुछ देर पहले ही बहुत जोर की बारिश गिरी थी तो मौसम भी काफी अच्छा था, और टपरी पे मेरे अलावा कोई भी नही। मैंने अपनी चाय ली और धीमे धीमे चुस्कियां लेते लेते चाय के मज़े लेने लगा। इतने में हमारी नज़र किसी पे पड़ी। ज़ुफे भीगी हुई और उलझी हुई, होंठ ठंड से कांपते हुए, आँखें रोने से लाल थी या कुछ चला गया था ये समझ नही आ रहा था। आँखों से पानी रुक नही रहा था तो हमने अपना रुमाल बड़ा दिया, बिजली की तेजी से जैकेट से एक हाथ निकला और रुमाल पकड़ लिया। आसूं पोछा और रुमाल हमारी तरफ बड़ा दिया। हमसे रुका नही गया और हमने पूछ ही लिया, तुमने छोड़ा या उसने? । एक पल को तो लगा जैसे अजनबी ने अजनबी से कुछ पूछा है तो जवाब तो नही ही आएगा। और अगले ही पल उनकी कहानी सुनते सुनते हमने और उन्होंने चार चार प्याली चाय यूँ ही पी ली। हमने पैसे देने के लिए हाथ आगे बढ़ाए ही थे कि रोक कर उन्होंने कहा कि किसी ने उन्हें इतने गौर से नही सुना और कहते कहते कब उन्होंने pay कर दिया पता ही नही चला।

अब रिया से रोज़ का मिलना हो गया था, मिले बिना दिन अधूरा सा हो जाता था, ऐसा मैं नही उसने ही मुझे कहा था। हम दोनों हमेशा वहीं मिलते, चाय पीते बातें करते। ऐसा नही था कि मेरे पास उसका phone no. नही था, बस उसे देखे बिना चैन नही आता था, तो बस हर शाम एक call और वो वहां आ जाती थी। उसके आने की speed से पता चलता था कि वो भी मेरे call आने और वहां आने को बेकरार रहती थी। पूरा monsoon यूँ ही गुज़र गया। मेरा कॉलेज christmas fest होते ही january तक के लिए बंद होने वाला था, और christmas fest आने में सिर्फ दो दिन ही बचे थे। रिया ने कहा था कि christmas वाले दिन हम दोनों कही घूमने चलेंगें, तो मैंने भी अपना कॉलेज fest attend करने का program cancel कर दिया था और इस बारे में अपने दोस्तों को भी बता दिया था। ताकि वो बाद में मुझे परेशान न करें।

तो आज christmas का दिन था, ठीक 12 बजे हम दोनों मिलने वाले थे, तो मैंने अपनी white shirt डाली, एक blue jeans पेहेन ली, और थोड़ी ठंड थी तो अपनी black jacket भी रख ली। वो उस दिन बला की खूबसूरत लग रही थी, एक red और black comination का सूट पहन रखा था, और आँखों मे सुरमा। मिलते ही सबसे पहला सवाल ये पूछा, किसी के साथ date पे जा रही हो क्या, जवाब मिला हाँ, मैन कहाँ की अगर मेरे साथ नही घूमना था तो पहले बता देती, तो कहने लगी, "अरे पागल! तू नही आता तो date पे किसके साथ जाती"। उस दिन ऐसा लगा कि प्यार पे भरोसा रख कर अच्छा ही किया। पूरा दिन हम दोनों बस घूमते ही रहे, कुछ दूर पैदल तो कुछ दूर auto से, सजे हुए रास्तों के नज़ारे लेते हुए हम अपनी इस नई शुरुआत की सौगात को भी सजाने लगे।

बस यही कहूँगा की , "चाहे कितनी भी कोशिश कर लो, कोई न कोई ये दिल तोड़ेगा ही, और भले ही इश्क़ से मुंह फेर लो, रब वो टूटा दिल जोड़ेगा ही"।