राही तू चला कर
अपने वादों के खतिर
इन नजारो के खातिर
राही तू चला कर।
रोकने के खातिर तेरे इन इरादों को
हजारो मुश्किले आएंगी
कभी प्रेम तो कभी लोभ बन के
हजारो तरीको से तुझे डारएंगी
दिल को पत्थर बना कर
अपने लक्ष्य को अपनी साधना बना कर
राही तू चला कर।
रोकने के तरीके तो हजार होंगे
कभी विचार तो कभी व्याभिचार होंगे
आकर्षण के तरीके एक हजार होंगे
तेरे दिल पे हमले बार बार होंगे
आत्मविश्वास को हथियार बना कर
अपने लक्ष्य को अपना प्यार बना कर
राही तू चला कर।
अकेलापन तेरे मन पे सवार होगा
किसी की याद का परवान होगा
विचारो में सिर्फ उनका दीदार होगा
सिर्फ उनसे बातो का इंतजार होगा
दिल पे दिमाग को हावी बना कर
अपने लक्ष्य को अपना अरमान बना कर
राही तू चला कर।
यादें उनकी जैसे एक दीवार बनकर
रास्तो की तेरी जंजाल होगी
उनकी की हुई बाते
जैसे मोह-पाश होगी
आत्मबल को कटार बना कर
अपने लक्ष्य को अपना दिलोजान बना कर
राही तू चला कर।
राही तू चला कर
अपने वादों के खातिर
इन नज़ारों के खातिर
राही तू चला कर।