फेसबुक पर मेसेज आया हुआ था,
यह किसी अंजना का मेसेज था...
अंजना?... अंजना कौन ?... वो समझ नहीं पाया!
मेसेज करीब 10 बजे किया हुआ था, और अभी 11 बज रहे थे...
किसी लड़के के फेसबुक अकाउंट पर जब यूं कोई लड़की मेसेज करती है तो एक लड़का अपनी लॉजिक के अनुसार दो ही बातें सोचता है-
१. मैं किसी को आकर्षक लगा हूँ
२. यह कोई फेक आईडी है!
हालांकि इस बार वो बैचेन हो उठा,
अन्दर से लग रहा था कि कोई लड़की ही बार- बार उससे संपर्क बनाने की कोशिश कर रही है, अंजना नाम की यह लड़की अभी ऑनलाइन नहीं थी, तो उसने वापस - अरे कौन, मैंने पहचाना नहीं?, कौन हो बताओ तो सही जैसे मेसेज कर दिए!
अंजना की आईडी पिछले 1 घंटे से ऑफलाइन थी!
उसने सोचा कि यह अगर जानकार ही लड़की है तो इसकी फ्रेंड लिस्ट में मेरी म्यूच्यूअल फ्रेंड मीनू जरूर जानती होगी!
मीनू- उसकी 10 वीं तक साथ पढ़ी सहपाठिन थी!
मीनू सौभाग्य से ऑनलाइन थी...
उसने मीनू को मेसेज किया..
वह लगभग मीनू से चैटिंग करता ही रहता था,
मीनू को उसने अंजना की आईडी के बारे में पूछा तो मीनू ने कहा - तू किसी को बताना मत, यह वही लक्ष्मी है जिसे तू हमेशा से पसंद करता था..
वह एकाएक हिल गया, उसके चेहरे पर प्रसन्नता आ गयी,
ना जाने कहाँ से रात में मच्छरों के काटने से खीझा हुआ वो एकाएक ख़ुशी के मारे सबकुछ भूल गया...
लक्ष्मी- यानि कि वो लड़की जिससे उसने बेइंतेहा ( प्रथम और आखिरी प्रेम की तरह ) मोहब्बत की थी,
वह जब तक साथ पढ़ा उसने लक्ष्मी को अपने प्यार का अहसास जरूर दिलाया मगर वो कभी लक्ष्मी के सामने इजहार ना कर पाया और लक्ष्मी भी अपने मन में उसका हिस्सा बना चुकी थी!
10 वीं कक्षा के पूरी होने के बाद दोनों के स्ट्रीम बदल गए, मगर वो कभी भी लक्ष्मी को भूला नहीं..
जब भी वो किसी मोड़/ गली में मिल जाता तो अपने शर्मीलेपन के कारण बिना कुछ बोले मुस्कुरा कर निकल जाता!
लक्ष्मी भी केवल उसे ही मोहब्बत करती थी!
उसके मन में लक्ष्मी के प्रति बहुत जगह थी, और आज जब उसे पता चला कि अंजना की आईडी लक्ष्मी कि है तो ना जाने उसमें कैसी हिम्मत आ गयी थी,
जो बातें वो अपने वास्तविक जीवन में लक्ष्मी को नहीं कह पाया... वो अब उसे यहाँ फेसबुक पर कहेगा!
असल में उसे कभी यकीन नहीं था कि लक्ष्मी कभी उसे फेसबुक पर मिलेगी...
मीनू से वह लगातार उसके ऑनलाइन आने का पूछता रहा!
मीनू ने कहा कि उसकी आईडी बनाने में मैंने ही सहयोग दिया है और वो आईडी तभी चलाएगी जब उसके पापा के मोबाइल में उसे आईडी चलाने का मौका मिलेगा..
लक्ष्मी फोन नहीं रखती थी...
वो घबरा गया कि अगर उसने कभी इज़हार कर दिया और उसके लिखे मेसेज अगर लक्ष्मी के पिता ने पढ़ लिए तो?
फिर वह मन ही मन सारी बातें बोलने की हिम्मत जुटा बैठा!
अंजना की आईडी से मेसेज आये हुए 4 दिन बीत गए थे..
वो बहुत बेचैन हो रहा था..
मीनू के अनुसार शायद लक्ष्मी अब फेसबुक नहीं चला पाएगी, उसके पापा उसे मोबाइल इतनी देर के लिए देते भी नहीं!
वक़्त बेचैनी से गुजरता रहा...
15 दिन गुज़र गए थे, इस दौरान वो कई नुक्कड़ चौराहों पर लक्ष्मी से टकरा चुका था जिसमें लक्ष्मी की निगाहें शर्म से नीचे झुकी रहती और वो पास से मुस्कुरा कर चल देता!
फेसबुक पर मैसेज किये हुए 1 महीना हो गया था..
1 महीने से लक्ष्मी ऑनलाइन नहीं थी...
वह इसे खट्टे-मीठे बेचैनी भरे दर्द को सहता रहा,
वास्तविक जीवन में वो चाहकर भी इज़हार नहीं कर पा रहा था...
और वर्चुअल जीवन उसे मौका नहीं दे रहा था..
अब उसे इसी बेचैनी में मज़ा आने लगा..
वह सोच रहा था कि कहीं अगर लक्ष्मी ऑनलाइन आ जाती है और उसके प्रेम को स्वीकार कर लेती है तो फिर क्या होगा?
क्या फिर इस तरह से लक्ष्मी की शर्म उसे आनन्दित करेगी..
वो इस मीठे दर्द को कैसे सहता रहेगा?
फिर किसी नुक्कड़ पर जब वो मिलेगी तो क्या उसकी नज़रों में लक्ष्मी के प्रति हिचकिचाहट या शर्म बनी रहेगी या फिर वो भी अभद्रता से उसे देखेगा और अपने प्रेम का प्रचार करेगा।
वह अब परेशान नहीं था मगर उसे इसी शर्म - लिहाज का रिश्ता पसंद आ रहा था, जैसा सामाजिक माहौल आस-पास था उसके अनुसार!
दूसरी तरफ लक्ष्मी कहीं कुछ ना कहने की स्थिति में थी...
वह चाहती थी कि यह रिश्ता यूँ ही बना रहे...
अनवरत... ज़िन्दगी भर...
कोई कशमकश ...
दोनों को आनन्दित करने वाली इसी बेचैनी के साथ!