आज भी याद है वपाठशाला का वो पहला दिन।
जब हम रोये थे घंटे गिन गिन ।
क्या करे हमे आदत नहीं थी, रह ने की आपके बिन ....
जब रखा पहला कदम पाठशाला में ,
तब नहीं आये आप सामने ।
रख दिया अपने जिगर के टुकड़े को यूँ टूटने,
अकेला छोड़ दिया अपने हुमे।
आ रहा था रोना अधिक दिल में,
पर एक आँसू न आया आपके सामने।
दिल नहीं दुखाना चाहते थे हम आपका ,
इसी लिए जी लिया थका थका।
क्या करे जब बात होती है आपकी,
तब कोई नहीं चला सकता अपने आप की।
तेरे लिए हम दुनिया से तकरायेंगे,
इस जहाँ को भी भूल जायेंगे,
माँ आप अगर चले जायेंगे ,
तो हम आपको खुदा से छीन लाएँगे।
है माँ, मेरी माँ ...
प्यारी माँ ...
Mumma.
(๑♡⌓♡๑)
~YahooXi